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    Bhadrapada Purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा पर करें इस स्तोत्र का पाठ, बिगड़े काम जल्द होंगे पूरे

    Updated: Sun, 15 Sep 2024 02:41 PM (IST)

    पूर्णिमा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष साधक 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा (Kab Hai Bhadrapada Purnima 2024) व्रत रख सकते हैं। अतः 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा है। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्र देव को अर्घ्य और विष्णु जी की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक के सभी बिगड़े काम पूरे होते हैं और प्रभु सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

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    Lord Vishnu: श्रीहरि को समर्पित है पूर्णिमा तिथि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह में पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता हैं। सनातन धर्म में भाद्रपद माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को बहुत ही शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि इस शुभ तिथि पर उपासना करने से दुख और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। ऐसे में आप भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima 2024) के दिन सच्चे मन से श्री हरि स्तोत्र का पाठ करें। इससे जातक पर विष्णु की कृपा बनी रहती है और सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

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    भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 17 सितंबर को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। वहीं, 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी।

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    श्री हरि स्तोत्रम्

    जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

    नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥

    सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

    गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं

    चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥

    जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं

    जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥

    कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

    स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥

    समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

    सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥

    सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

    सदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं

    मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥

    ॥ फलश्रुति ॥

    इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

    स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥

    विष्णु गायत्री मंत्र

    ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    लक्ष्मी विनायक मंत्र

    दन्ता भये चक्र दरो दधानं,

    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,

    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    दुख नाशक मंत्र

    कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

    प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।