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    Bhadrapada Purnima श्रीहरि की कृपा प्राप्ति के लिए है बेहद खास, जानें कैसे करें प्रसन्न

    Updated: Sat, 14 Sep 2024 02:54 PM (IST)

    हर महीने पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार साधक 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा (Kab Hai Bhadrapada Purnima 2024) व्रत रख सकते हैं। अतः 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा है। पूर्णिमा तिथि पर सच्चे मन से विष्णु स्तुति का पाठ करना बेहद कल्याणकारी माना जाता है। इसका पाठ करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान करना चाहिए।

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    Lord Vishnu: ऐसे करें विष्णु जी को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhadrapada Purnima 2024: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसी वजह से पूर्णिमा के दिन चंद्र देव के संग जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही गंगा स्नान और दान भी किया जाता है। ऐसे में आप भाद्रपद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर विष्णु स्तुति के पाठ के द्वारा जीवन में आ रही सभी तरह की परेशानियों को दूर कर सकते हैं। मान्यता है कि विष्णु स्तुति (Vishnu Stuti in Hindi) का पाठ करने से साधक को सभी कार्यो में सफलता प्राप्त होती है।

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    भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Bhadrapada Purnima Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 18 सितंबर को सुबह 08 बजकर 04 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 17 सितंबर को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। वहीं, 18 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा मनाई जाएगी।

    ॥ विष्णु स्तुति॥

    शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्,

    विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।।

    लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,

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    वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

    यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:।

    सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:।

    ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

    यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।।

    ॥श्री नारायण स्तोत्र॥

    नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

    करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥

    घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

    यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥

    पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

    मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥

    राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

    मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥

    बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

    वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥

    जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

    पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥

    अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

    हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥

    दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

    गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥

    शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

    विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥

    ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

    जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥

    दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

    मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥

    वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

    मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥

    जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

    ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥

    गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

    स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥

    अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

    नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥

    भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

    धन-समृद्धि मंत्र

    ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

    ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।