Bhadrapada Amavasya 2020: भाद्रपद अमावस्या आज, कालसर्प दोष निवारण के लिए है श्रेष्ठ दिन
Bhadrapada Amavasya 2020 Today भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या कहा जाता है जो आज है। यह अमावस्या श्रीकृष्ण को समर्पित है।
Bhadrapada Amavasya 2020 Today: आज भाद्रपद अमावस्या है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अमावस्या भाद्रपद अमावस्या होती है। भाद्रपद अमावस्या भगवान कृष्ण को समर्पित करते हैं। आज के दिन स्नान, दान, पितृ तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें, यदि यह अमावस्या सोमवार को होती, तो सूर्यग्रहण भी होता। इस वजह से भाद्रपद अमावस्या का महत्व ज्यादा हो जाता। भाद्रपद अमावस्या पर कुश (घास) का विशेष महत्व होता है। अमावस्या को धार्मिक कार्यों जैसै श्राद्ध आदि में कुश का उपयोग होता है, इस वजह से इसे कुश ग्रहणी अमावस्या (Kush Grahani Amavasya) भी कहते हैं। कुछ लोग इसे भादो अमावस्या कहते हैं।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि यह दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी उत्तम माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या 19 अगस्त को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर अमावस्या पर पितर तर्पण किया जाता है और इसका अपना एक विशेष महत्व होता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने पिठोरी अमावस्या व्रत का महत्व बताया था। सनातन धर्म में भादो अमावस्या का विशेष महत्व है।
भाद्रपद अमावस्या का महत्व
धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। भारत का प्रमुख त्योहार दीपावली अमावस्या को ही मनाया जाता है। सूर्य पर ग्रहण भी इसी तिथि को लगता है। कोई जातक यदि काल सर्पदोष से पीड़ित है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिये भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है।
Kaal Sarp Dosh Nivaran Upay: क्या होता है कालसर्प दोष? जानें इसके निवारण के 5 उपाय
भाद्रपद अमावस्या तिथि और मुहूर्त
18 अगस्त को 10 बजकर 41 मिनट पर अमावस्या तिथि आरम्भ
19 अगस्त को 08 बजकर 12 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त
भाद्रपद अमावस्या: करें ये उपाय
1. अमावस्या पर दान-स्नान का बहुत महत्व माना गया है, इसलिए इस दिन प्रातःकाल की बेला में किसी पवित्र नदी, कुंड में स्नान करना चाहिए और सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
2. अमावस्या का दिन पितृ तर्पण के लिए बहुत उत्तम रहता है, इसलिए इस दिन किसी नदी के तट पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और दान करें। इससे आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी।
3. अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करने का महत्व भी माना गया है। अमावस्या के दिन आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पूजा भी कर सकते हैं।
4. जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष बनता हो, उन लोगों को अमावस्या के दिन कालसर्प दोष निवारण करवाना चाहिए। इससे कालसर्प दोष के कारण होने वाले प्रभाव कम होते हैं।
5. अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अमावस्या के दिन संध्या के समय किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें और प्रार्थना करते हुए पीपल की सात परिक्रमा लगाएं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।