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    भड़ली नवमी तिथि को होता है अबूझ मुहूर्त, फिर भी इस बार नहीं होगी शादियां… जानिए वजह

    Updated: Wed, 25 Jun 2025 08:33 PM (IST)

    भड़ली नवमी तिथि विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन कोई मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। इस तिथि को भड़ल्या नवमी, भादरिया, भद्रिया या भदरिया नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मगर, इस बार इस दिन विवाह के कार्यक्रम नहीं किए जा सकेंगे।  

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    भड़ली नवमी की तिथि पर कोई शुभ मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी तिथि मनाई जाती है। यह दिन अबूझ मुहूर्त (Abujh Muhurat) का होता है। यानी किसी भी काम को करने के लिए कोई शुभ मुहूर्त देखने की इस दिन जरूरत नहीं होती है। मगर, इस बार 4 जुलाई को पड़ रही इस तिथि पर शहनाई (No Weddings on Bhadli Navami) नहीं बज सकेंगी।

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    बिना पंचांग का विचार किए हुए इस दिन कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। खासतौर पर विवाह के लिए भड़ली नवमी की तिथि को सबसे उपयुक्त (Weddings on Bhadli Navami) माना जाता है क्योंकि इस दिन किसी शुभ मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं होती है।

    इस तिथि पर गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, व्यापार, वाहन, भूमि, भवन आदि खरीदने जैसे कोई भी शुभ काम किए जा सकते हैं। मान्यता है कि भड़ली नवमी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती।

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    गुरु तारा चल रहा है अस्त

    देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इसके बाद भगवान विष्णु के योग निद्रा में होने की वजह से अगले 4 महीने तक कोई भी मांगलिक काम नहीं किया जा सकता है। ऐसे में चातुर्मास शुरू होने से पहले शुभ काम करने का अंतिम दिन भड़ली नवमी तिथि को होता है।

    मगर, इस बार भड़ली नवमी तिथि को विवाह के कार्यक्रम संपन्न नहीं हो सकेंगे। इसकी वजह यह है कि पिछले करीब 1 महीने से विवाह के कारक ग्रह देव गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त चल रहे हैं। लड़की की शादी के लिए गुरु तारे का अस्त होना अच्छा नहीं माना जाता है। मान्यता है कि इससे उसे विवाह के बाद सुख नहीं मिलते हैं। 

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    इस बार भड़ली नवमी तिथि 4 जुलाई 2025 को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। वहीं, 5 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी होगी। लिहाजा, 4 जुलाई को अबूझ मुहूर्त होने की वजह से अन्य मांगलिक कार्य तो किए जा सकेंगे। मगर, गुरु तारे के अस्त होने की वजह से शादी के लिए योग नहीं होंगे।

    गुरु तारा 9 जुलाई 2025 को मिथुन राशि में उदित होगा। मगर, देवशयनी एकादशी के हो जाने की वजह से इस बार इस तिथि पर शादी के कार्यक्रम नहीं किया जा सकेंगे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।