Bada Mangal 2025: बड़े मंगल के दिन किया गया ये पाठ, वैवाहिक जीवन की समस्याओं की करेगा काट
ज्येष्ठ माह माह का तीसरा बड़ा मंगल 27 मई को पड़ रहा है। मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के सभी कष्टों का निवारण होता है। ऐसे में आपको बड़े मंगल की पूजा में ये पाठ जरूर करना चाहिए ताकि आपके ऊपर बजरंगबली की विशेष कृपा बनी रहे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ माह की शुरुआत 13 मई से बड़े मंगल के साथ हो चुकी है। इस बार ज्येष्ठ माह में 5 बड़े मंगल पड़ने वाले हैं, जिसपर भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के मंगलवार पर ही भगवान श्रीराम और उनके परम भक्त हनुमान जी की भेंट हुई ती। ऐसे में आप बड़े मंगल की पूजा में संकटमोचन हनुमाष्टक (Sankatmochan Hanuman Ashtak) का पाठ करके बजरंगबली की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
॥ हनुमानाष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
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बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
बड़े मंगल के दिन हनुमान जी की पूजा के बाद संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने से आपको वैवाहिक जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही इससे जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और दुर्भाग्य दूर होता है।
रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
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