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Ashwin Varad Chaturthi 2022 : आश्विन मास की गणेश चतुर्थी आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ashwin Varad Chaturthi 2022 आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसे विनायक या वरद चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी पर शुभ योग बन रहा है। जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 03:07 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 09:25 AM (IST)
Ashwin Varad Chaturthi 2022 : आश्विन मास की गणेश चतुर्थी आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Ashwin Varad Chaturthi 2022 : आश्विन मास की गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली, Varad Ganesh Chaturthi 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास में दो बार गणेश चतुर्थी का पर्व आता है। जहां शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं।आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखने वाले व्रत को विनायक या वरद चतुर्थी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखा जाता है। 

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माना जाता है इस दिन गणेश जी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए वरद चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

वरद चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि आरंभ- 29 सितंबर को सुबह 1 बजकर 28 मिनट तक

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त- 30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- सुबह 9 बजकर 22 मिनट को

चन्द्रास्त का समय- रात 8 बजकर 23 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

रवि योग- सुबह 6 बजकर 13 मिनट से शाम 5 बजकर 13 मिनट तक

राहुकाल- दोपहर 1 बजकर 41 मिनट से 3 बजकर 10 मिनट तक

वरद चतुर्थी 2022 पूजा विधि

  • चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नानादि करके लाल या पीले वस्त्र धारण कर लें।
  • अब पूजा स्थल पर या फिर एक लकड़ी की चौकी में पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर लें।
  • भगवान गणेश को पुष्ण के माध्यम से जल चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें सिंदूर का तिलक लगाएं।
  • अब उन्हें अति प्रिय चीज दूर्वा, फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें।
  • घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
  • अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
  • फिर प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें और पूरे दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन पंचमी तिथि में व्रत का पारण करें। पारण के दिन सुबह पुनः भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने का प्रावधान है।

Pic Credit- Freepik

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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