Tirupati Laddu History: सर्वप्रथम भगवान वेंकटेश्वर को किसने लगाया था लड्डुओं का भोग? जानें प्रसाद का इतिहास
तिरुपति बालाजी मंदिर देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर अपनी कई मान्यताओं के कारण मशहूर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तिरुमला में भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के संग वास करते हैं। मंदिर में अर्पित किया जाने वाला लड्डू बेहद प्रसिद्ध है। आइए इस लेख में जानते हैं लड्डू (Tirupati Balaji Mandir Laddu History) कैसे बना भगवान वेंकटेश्वर का प्रसाद।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में कई मंदिर चमत्कारी और रहस्यमयी हैं। इनमें आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी का मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर में श्रीहरि भगवान वेंकटेश्वर रूप में विराजमान हैं। धार्मिक मान्यता है कि कलयुग में मानव समाज के कल्याण और उत्थान के लिए भगवान वेंकटेश्वर (Lord Venkateshwara) अवतरित हुए हैं। आंध्र प्रदेश के तिरुमला में स्थित होने की वजह इसे तिरुपति बालाजी मंदिर के नाम से जाना जाता है। रोजाना मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु प्रभु के दर्शनों के लिए आते हैं। चलिए जानते हैं भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित किया जाने वाला लड्डू का इतिहास (Tirupati Balaji Temple Prasad History) के बारे में।
तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू का इतिहास (Tirupati Balaji Mandir Laddu History)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस समय तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को विराजमान किया जा रहा था, तो इस दौरान लोगों में एक विषय को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी कि भगवान वेंकटेश्वर को किस खास चीज को भोग के रूप में अर्पित किया जाए। तभी मंदिर में बुर्जुग महिला लड्डू लेकर आई और प्रभु को लड्डू को भोग के रूप में अर्पित करने की इच्छा जाहिर की। ऐसे में पुजारियों ने बुर्जुग महिला की बात को स्वीकार किया और भगवान वेंकटेश्वर को लड्डू का भोग लगाया। इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण किया। लड्डू बहुत ही स्वादिष्ट थे। ऐसे में पुजारियों ने बुर्जुग महिला से लड्डू बनाने की विधि के बारे में पूछा। लड्डू बनाने के तरीका बताए जाने के बाद बुर्जुग महिला अंतर्ध्यान हो गई। तभी से यह लड्डू तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के भोग के लिए बनाए जाने लगे।
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मंदिर से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
तिरुपति बालाजी मंदिर 15 सौ साल पुराना बताया जाता है। भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड के नियम का पालन करना पड़ता है। इसके बिना मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
भगवान वेंकटेश्वर की आंखें बंद रहती हैं। भगवान वेंकटेश्वर को उनकी चमकीली और शक्तिशाली नेत्रों के लिए जाना जाता है। मान्यता है कि प्रभु के नेत्रों में ब्रह्मांडीय ऊर्जा होने के कारण लोग उनकी आंखों में सीधा नहीं देख सकते हैं। इसी वजह से प्रभु की आंखों को सफेद मुखौटे से ढक दिया जाता है। इस मुखौटे को गुरुवार के दिन बदला जाता है।
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