दशानन रावण से भी जुड़ा है Shri Dudheshwar Nath Temple का गहरा नाता, दशर्न मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट
इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन (Shri Dudheshwar Nath temple history) करने मात्र से हर कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैसे तो मंदिर की अनेक विशेषताएं हैं लेकिन यहां कुएं का पानी कभी मीठा तो कभी दूध जैसा स्वाद देता है। आज भी यह कुआं मठ में स्थित है। मंदिर का द्वार एक ही पत्थर का बना हुआ है।

नारायण गिरि महाराज (पीठाधीश्वर, श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर)। श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है। सावन में मंदिर में लाखों श्रद्धालु हरिद्वार से जल लाकर भगवान दूधेश्वरनाथ को चढ़ाते हैं। यहां वेद विद्यापीठ गुरुकुल भी है। यहां भगवान शिव परिवार, मां दुर्गा, राधा कृष्ण, भगवान श्री राम आदि की मूर्ति स्थापित हैं।
मंदिर का इतिहास : श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर संबंध रावण काल से भी जोड़ा जाता
है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंडन नदी के किनारे पुलस्त्य के पुत्र ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी, जोकि रावण के पिता थे। इसके साथ ही लंकापति रावण ने भी पूजा की थी। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है।
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विशेषताएं :
माना जाता है कि इस मंदिर (Shri Dudheshwar Nath temple) में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने मात्र से हर कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैसे तो मंदिर की अनेक विशेषताएं हैं लेकिन यहां कुएं का पानी कभी मीठा तो कभी दूध जैसा स्वाद देता है। आज भी यह कुआं मठ में स्थित है। मंदिर का द्वार एक ही पत्थर का बना हुआ है।
मंदिर में नियमित रूप से भक्त भगवान दूधेश्वरनाथ के दर्शन को आते हैं, श्रावण मास के सोमवार एवं महाशिवरात्रि के दिन विशेष तौर पर लाखों की संख्या में भीड़ रहती है। पुलिस प्रशासन के सहयोग से इंतजाम किए गए हैं। - नारायण गिरि महाराज, पीठाधीश्वर, श्री दूधेश्वरनाथ मठ मंदिर।
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मंदिर में दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामना लेकर पूजा अर्चना के लिए आते हैं। भगवान दूधेश्वरनाथ सभी की कामना पूरी करते हैं। सावन के महीने में मंदिर में भक्तों की संख्या ज्यादा रहती है।- एसआर सुथार, कार्यकर्ता, श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर।
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