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    Shiv Mandir: इस शिवालय में खड़े स्वरूप में क्यों मिलते हैं नंदी, जानिए इसके पीछे की रोचक कथा

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Mon, 12 Jun 2023 02:29 PM (IST)

    देश के अन्य शिव मंदिरों में नंदी की बैठी प्रतिमाएं ही नजर आती हैं। वहीं उज्जैन में एक ऐसा मंदिर मौजूद है जहां नंदी खड़े हुए रूप में मिलते हैं। आइए जानते हैं क्या है नंदी के खड़े होने की वजह।

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    Shiv Mandir इस शिवालय में खड़े स्वरूप में क्यों मिलते हैं नंदी।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shiv Mandir: भारत में कई अनोखे मंदिर पाए जाते हैं जिनके पीछे अलग-अलग मान्यताएं मौजूद हैं। उज्जैन में महर्षि सांदीपनि का आश्रम स्थित है। यह वही आश्रम है जहां भगवान श्रीकृष्ण उनके मित्र सुदामा और भाई बलराम ने भी शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने यहां पर 64 दिनों में 16 कलाओं और 64 विद्याओं का ज्ञान हासिल किया था। यहां भगवान शिव का एक मंदिर भी है, जिसे पिंडेश्वर महादेव कहा जाता है। इसी मंदिर में नंदी खड़े हुए रूप में पाए जाते हैं।

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    क्या है मान्यता

    इस मंदिर में नंदी के खड़े रूप में मिलने के पीछे एक बड़ी ही रोचक कथा मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि के आश्रम में भगवान शिव अपने प्रभु श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का दर्शन करने पधारे थे। तब नंदी जी ने अपने गुरु अर्थात भगवान शिव और गोविंद यानी भगवान कृष्ण दोनों को एक साथ देखा। जिस कारण वह उन दोनों के सम्मान में खड़े हो गए। यही वजह है कि यहां नंदी की खड़ी हुई प्रतिमा पाई जाती है। माना जाता है कि इस शिव मंदिर की स्थापना द्वापर युग में हुई थी।

    और भी हैं खासियत

    यह आश्रम आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की द्वापर युग में हुआ करता था। दूर-दूर से भक्त इस आश्रम और भगवान शिव के मंदिर में दुर्लभ मूर्ति के दर्शन के लिए आते हैं, जो श्री कुंडेश्वर महादेव के शिवलिंग के सामने खड़ी है। कभी ये आश्रम चारों और से घने वनों तथा फलों के पेड़ों से घिरा रहता था। श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर यहां के उसी जंगल में इंधन के लिए लकड़ियां बिनने जाया करते थे।

    क्या है नंदी का महत्व

    हर शिवालय में नंदी मुख्य रूप से पाए जाते हैं। नंदी को भक्ति और शक्ति के प्रतीक माना गया है। वह भक्तों की मनोकामना शिव जी तक पहुचाने का काम करते हैं। इसलिए शिव मंदिर में जाकर उनके कान में मनोकामना कही जाती है। नंदी को भगवान भोलेनाथ का वाहन माना जाता है। नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'