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    Ram Mandir: रामनवमी पर रामलला का ऐसे होगा सूर्य अभिषेक, भव्य होगा नजारा

    Updated: Sat, 13 Apr 2024 01:04 PM (IST)

    रामनवमी का पर्व देशभर में अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन राम जी की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। इस बार रामनवमी रामभक्तों के लिए बेहद खास होने वाली है। क्योंकि लंबे समय के बाद भगवान श्रीराम जन्मभूमि में बने राम मंदिर में विराजमान हैं। इस अवसर पर रामलला का सूर्याभिषेक किया जाएगा। आइए जानते हैं कि किस प्रकार से रामलला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा

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    Ram Mandir: रामनवमी पर रामलला का ऐसे होगा सूर्य अभिषेक, भव्य होगा नजारा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ram Mandir Ayodhya: सनातन धर्म में रामनवमी के पर्व को अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार रामनवमी 17 अप्रैल को है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था। इसलिए चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाई जाती है। इस बार रामनवमी राभक्तों के लिए बेहद खास होने वाली है। क्योंकि लंबे समय के बाद भगवान श्रीराम जन्मभूमि में बने राम मंदिर में विराजमान हैं। आखिर यही वजह है कि इस बार रामनवमी के अवसर पर अयोध्या बेहद खास नजारा देखने को मिलेगा। इस शुभ मौके पर प्रभु राम को 56 भोग अर्पित किया जाएगा और उनका सूर्याभिषेक किया जाएगा। इसको लेकर राम मंदिर तैयारी हो रही हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस प्रकार से रामलला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा और इसके महत्व के बारे में जानेंगे।

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    सूर्य अभिषेक

    रामनवमी पर रामलला का विशेष सूर्य अभिषेक किया जाएगा। हिंदू धर्म में भगवान सूर्य देव को ऊर्जा का स्रोत और ग्रहों का राजा माना गया है। जब भगवान सूर्य देव की किरण भगवान का अभिषेक करती हैं, तो इससे आराधना में और देवता का भाव जागृत होता है। इस विधि को सूर्य अभिषेक कहा जाता है। राम जन्मोत्सव पर 4 मिनट तक रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेगी और रामलला का सूर्य तिलक होगा। मिली जानकारी के अनुसार, रामलला के सूर्य तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है।

    सूर्य अभिषेक का महत्व  

    भगवान राम जी को जगत के पालनहार भगवान विष्णु के 10 अवतारों में 7वां अवतार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर बारह बजे भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, तो उस दौरान सूर्य देव अपने पूर्ण प्रभाव में थे। ऐसा माना जाता है कि सूर्योदय के दौरान सूर्य देव को जल और पूजा करने से साधक को जीवन ने शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंडली में मौजूद सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है।  

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।