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    Nilkantheshwar Mahadev Temple: एक ऐसा अद्भुत मंदिर, जो 6 महीने पानी में रहता है डूबा, शिव जल में करते हैं वास

    Updated: Wed, 03 Apr 2024 01:26 PM (IST)

    गुजरात में भगवान शिव को समर्पित नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर 6 महीने पानी के अंदर डूबा रहता है और 6 महीने पानी के बाहर रहता है। इसलिए यह मंदिर आज के समय में आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है। चलिए आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के बारे में।

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    Nilkantheshwar Mahadev Temple: एक ऐसा अद्भुत मंदिर, जो 6 महीने पानी में रहता है डूबा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Nilkantheshwar Mahadev Temple: सनातन धर्म में देवों के देव महादेव को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। देश में भगवान शिव को समर्पित ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्य की वजह से मशहूर हैं। इन्हीं में से एक गुजरात में स्थित नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राजपूत शासक राजा चौकराना के द्वारा हुआ था। इसकी एक खास विशेषता यह है कि नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर 6 महीने पानी के अंदर डूबा रहता है और 6 महीने पानी के बाहर रहता है। इसलिए यह मंदिर आज के समय में आस्था का केंद्र बना हुआ है। चलिए आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के बारे में।

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    नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर (Nilkantheshwar Mahadev Temple)

    नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के बड़ौदा से 124 किलोमीटर दूर जूनराज गांव में स्थित है। इस मंदिर के पास पानी ही पानी है। मंदिर तक पहुचनें के लिए श्रद्धालुओं को नाव की मदद लेनी पड़ती है। यह मंदिर 500 वर्ष पुराना बताया जाता है। मंदिर तीर्थयात्रियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की मूर्ति विराजमान है।

    पानी में निवास करते है भगवान शिव

    इसकी आपको खास विशेषता बता दें कि नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर छह महीने पानी में डूबा रहता है और 6 महीने पानी के बाहर रहता है। बारिश के दौरान बांध में पानी भर जाता है, जिससे मंदिर पानी में डूब जाता है और पानी के कम होने पर बाहर आ जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि मंदिर में पानी भरने के दौरान भगवान भोलेनाथ मंदिर में निवास करते हैं। जैसे ही पानी कम होता है, तो नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर दिखने लगता है। जिसके बाद श्रद्धालु पूजा और दर्शनों के लिए आते हैं।  

    मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण 500 साल पहले राजपूत शासक राजा चौकराना ने करवाया था। मंदिर समेत प्रवेश द्वार पर शानदार नक्काशी की गई है।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'