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    Maa Shakhambari Shkatipeeth: यह है माता शाकम्भरी का पहला शक्तिपीठ, जानें इस मंदिर के बारे में

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jan 2021 09:43 AM (IST)

    Maa Shakhambari Shkatipeeth जागरण अध्यात्म के आज के पोस्ट में हम आपको मां शाकम्भरी के पहले शक्तिपीठ के बारे में बता रहे हैं। इनका पहला शक्ति राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास स्थित है। यह सकराय माताजी के नाम से स्थित है।

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    Maa Shakhambari Shkatipeeth: यह है माता शाकम्भरी का पहला शक्तिपीठ, जानें इस मंदिर के बारे में

    Maa Shakhambari Shkatipeeth: शाकम्भरी नवरात्रि चल रही है। इस दौरान आदि शक्ति के सौम्य अवतार यानी शाकम्भरी माता की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान हम आपको मां शाकम्भरी के तीन शक्तीपीठों की जानकारी दे रहे हैं। जागरण अध्यात्म के आज के पोस्ट में हम आपको मां शाकम्भरी के पहले शक्तिपीठ के बारे में बता रहे हैं। इनका पहला शक्ति राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास स्थित है। यह सकराय माताजी के नाम से स्थित है। आइए जानते हैं इसके बारे में। 

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    मां शाकम्भरी का पहला प्रमुख शक्तिपीठ राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास स्थित है। इसे सकराय माताजी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, महाभारत काल में पांडव पाप (अपने भाईयों और परिजनों के वध) से मुक्ति पाने के लिए कुछ समय के लिए अरावली की पहाड़ियों में रुके थे। इस दौरान युधिष्ठिर ने पूजा-अर्चना के लिए मां शर्करा की स्थापना की थी। इसी को अब शाकम्भरी तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यह अब आस्था का केंद्र बन चुका है।

    यह मंदिर सीकर से 56 किमी दूर अरावली की हरी वादियों में स्थित है। यह मंदिर उदयपुरवाटी गांव से 16 किमी दूर झुंझनूं जिले में स्थित थे। इस मंदिर में कई शिलालेख मौजूद हैं जिनके अनुसार मंदिर का मंडप आदि बनाने में धूसर तथा धर्कट के खंडेलवाल वैश्यों ने सामूहिक रूप से धन इकट्ठा किया था। इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में किया गया था। यहां देवी शंकरा, गणपति तथा धन स्वामी कुबेर की प्राचीन प्रतिमाएं मौजूद हैं। शाकम्भरी नवरात्रि के दौरान यहां पर 9 दिनों तक जश्न मनाया जाात है। यहां पर सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '