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    Lord Dwarkadhish Temple: भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखों को माना जाता है प्रेम का प्रतीक, जानें इनके नेत्रों का रहस्य

    सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। देशभर में कान्हा जी के कई मंदिर हैं जो अपनी मान्यता के कारण मशहूर हैं। वहीं द्वारकाधीश मंदिर भी बेहद रहस्यमयी है। द्वारकाधीश मंदिर (Lord Dwarkadhish Temple) जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की कई खास लीलाओं का स्थल माना जाता है। आइए जानते हैं मंदिर से जुड़े रहस्य के बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 28 Aug 2024 11:47 AM (IST)
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    Dwarkadhish Mandir: कान्हा जी की लीलाओं का स्थल है द्वारकाधीश मंदिर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Dwarkadhish: देशभर में देवी-देवताओं को समर्पित कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपने रहस्य या अन्य कारण से प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा कुछ मंदिर अपनी वास्तुकला और भव्य बनावट के लिए जाने जाते हैं। इनमें गुजरात के द्वारका में स्थित भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर है। धार्मिक मान्यता है कि द्वापर युग के दौरान द्वारकाधीश मंदिर के स्थान पर भगवान कृष्ण का निवास स्थल था, जिसे हरि गृह के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा विराजमान है, लेकिन उनकी आंखे (Mystery of Dwarkadhishs Eyes) बंद हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह सुदामा की गरीबी को नहीं देख सकते थे। आइए पढ़ते हैं इससे जुडी कथा के बारे में।  

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    ये है कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, द्वारका नगरी के राजा भगवान श्रीकृष्ण को एक बार खबर मिली कि उनके भक्त सुदामा जीवन में बहुत ही गरीबी का सामना कर रहे हैं। इस बात को सुनने के बाद प्रभु अपने परम भक्त से मिलने के लिए उनके घर पहुंचे। घर पर श्रीकृष्ण को देख सुदामा बेहद प्रसन्न हुए। उन्होंने प्रभु को कुछ खिलाने की सोची, लेकिन उनके घर पर कुछ भी नहीं था। ऐसे में सुदामा की पत्नी सुशीला ने चावल को पीसकर श्रीकृष्ण को खिलाए। प्रभु उन दोनों की भक्तों को देख अधिक खुश हुए और उन्हें धन में वृद्धि का आशीर्वाद दिया। इसके पश्चात कृष्ण जी द्वारका नगरी के लिए वापस लौटे। इस दौरान उन्होंने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी के बारे में सोचकर अपनी आंखें बंद कर ली। इसी वजह से प्रभु को इस तरह की स्थिति में रहना पड़ा। सुदामा की गरीबी के कारण श्रीकृष्ण ने निर्णय लिया कि वह जीवन में कभी भी किसी की गरीबी नहीं देखेंगे। इसी वजह से प्रभु ने हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर ली।  

    भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखों से जुड़ी रोचक बातें

    • भगवान द्वारकाधीश की बंद नेत्रों को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जो साधक मंदिर में दर्शन करता है, उसपर प्रभु अपने प्रेम की वर्षा करते हैं।
    • भगवान द्वारकाधीश की बंद आंखें महानता को प्रदर्शित करती हैं।

     

    द्वारकाधीश मंदिर की विशेषता क्या है? (What is special about Dwarkadhish Temple?)

    यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। मंदिर चालुक्य शैली की वास्तुकला पर आधारित है।  

    द्वारकाधीश मंदिर के पट कितने बजे खुलते हैं? (Dwarkadhish Temple Timing)

    द्वारकाधीश मंदिर के पट सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर खुलते हैं और रात को 09 बजकर 30 मिनट पर पट बंद कर दिए जाते हैं।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।