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    Dog Temples In India: खूब देखे होंगे देवी-देवताओं के मंदिर, लेकिन इन स्थानों पर होती है कुत्तों की पूजा

    घरों में लोग अक्सर पालतू पशु के रूप में कुत्ता पालना पसंद करते हैं क्योंकि कुत्तों को बहुत ही वफादार जानवर माना जाता है। हिंदू धर्म में गाय और नाग आदि की पूजा का विधान तो है ही लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कुत्तों की भी पूजा की जाती है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 23 Aug 2024 02:54 PM (IST)
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    Dog Temple In India इन मंदिरों में होती है कुत्तों की पूजा (प्रतीकात्मक चित्र) (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत के कोने-कोने में ऐसे कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिन्हें लेकर अपनी-अपनी मान्यताएं प्रचलित हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर मौजूद हैं, जहां देवी-देवताओं की नहीं, बल्कि कुत्तों की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं कि भारत में कहां-कहां ऐसे मंदिर स्थापित हैं।

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    यहां होती है कुत्तों की पूजा

    कर्नाटक के रामनगर जिले के चिन्नपटना गांव में भी एक कुत्ते का मंदिर स्थापित है। यहां लोगों की मान्यता है कि कुत्तों में प्राकृतिक शक्तियां होती हैं, जिससे वह अपने मालिक को हर संकट से बचा लेते हैं। साथ ही उनमे किसी भी आपदा को पहले ही भांप लेने की भी शक्ति होती है इस मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि इस मंदिर में आकर कुत्तों की पूजा करने से गांव में किसी भी प्रकार की विपदा नहीं आती।

    नहीं रहता कुत्ते के काटने का डर

    छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के एक छोटे से गांव खपरी में कुकुरदेव मंदिर स्थापित है। असल में यह एक कुत्ते की समाधि है, जिसे लेकर यह मान्यता प्रचलित है कि यह कुत्ता अपने मालिक के प्रति आखिरी सांस तक वफादार था। इस मंदिर को लेकर यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने पर कुकुर खांसी रोग (Whooping Cough) और कुत्ते के काटने का खतरा नहीं रहता है।

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    कुत्तों का होता है नामकरण

    कन्नूर में स्थित पेरिसिनी मंदिर भगवान मुथप्पा को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इन देवता को कुत्तों से बहुत लगाव था। साथ ही कुत्तों को भगवान मुथप्पन का वाहन भी माना जाता हैं। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति कुत्तों का अनादर करता है, तो इसे भगवान मुथप्पा का अपमान समझा जाता है। इतना ही नहीं, इस मंदिर में कुत्तों का नामकरण समारोह भी आयोजित किया जाता है। नामकरण के लिए कुत्तों के मालिक अपने पालतू जानवरों के साथ यहां आते हैं। इस दौरान पुजारी कुत्तों के कान में मंत्र बोलते हैं और उसके बाद प्रसाद देते हैं।

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    प्रांगण में बनी है कुत्ते की प्रतिमा

    ग्रेटर नोएडा के चिपियाना बुजुर्ग गांव में भैरव बाबा के मंदिर प्रांगण में कुत्ते की प्रतिमा बनी हुई है, जिसके प्रति लोगों की विशेष आस्था है। साथ ही मंदिर प्रांगण के पास ही एक तालाब भी बना हुआ है। इस तालाब को लेकर यह कहा जाता है कि यदि कुत्ते के काटने के बाद इस तालाब में स्नान किया जाए, तो इससे कुत्ते के काटने का असर कम हो जाता है। यहां कुत्ते की प्रतिमा की पूजा की जाती है और उसपर प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।