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    Siddhanath Temple का त्रेता युग से है संबंध, दर्शन करने से सभी मुरादें होती हैं पूरी

    Updated: Wed, 07 Aug 2024 02:52 PM (IST)

    देशभर में कई देवी-देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर हैं जो अपने मान्यता या फिर किसी अन्य कारण से मशहूर हैं। इन मंदिरों में शामिल है कानपुर सिद्धनाथ मंदिर (Siddhnath Temple)। इस मंदिर का संबंध त्रेता युग से माना जाता है। मान्यता है किए मंदिर के महादेव करने से साधक की सभी मुरादें जल्द पूरी होती हैं। चलिए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में।

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    Siddhanath Temple History: सिद्धनाथ मंदिर का इतिहास

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Siddhanath Temple: सनातन धर्म में सावन के महीने को बेहद शुभ माना जाता है। यह महीना सृष्टि के रचयिता देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस पूरे महीने सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सोमवार और मंगलवार का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है और जातक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। वहीं, सावन में शिव मंदिरों को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए अधिक संख्या में मंदिरों में पहुंचते हैं। क्या आप जानते हैं कि देश में एक भगवान शिव को समर्पित ऐसा मंदिर है, जिसका संबंध त्रेता युग से है और यहां दर्शन करने से साधक की सभी मुरादें जल्द पूरी होती हैं। आइए , इस मंदिर के बारे में जानते हैं-

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    सिद्धनाथ मंदिर का इतिहास (Siddhanath Temple History)

    सिद्धनाथ मंदिर कानपुर के जाजमऊ में स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। प्राचीन समय में मंदिर में एक महात्मा रहा करते थे, जिनका नाम श्याम गिरी था। उन्होंने अपने जीवन काल के दौरान अधिक तपस्या की थी।

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    सिद्धनाथ मंदिर के नजदीक गंगा नदी थी। प्रत्येक दिन गंगा नदी सिद्धनाथ भगवान को स्पर्श करती थी। श्याम गिरी गंगा नदी के किनारे मिट्टी से बनी शिवलिंग की पूजा-अर्चना करता था, लेकिन वह कुछ समय के बाद शिवलिंग गंगा नदी में विलीन हो जाता है।

    इसके पश्चात महात्मा ने महादेव की आराधना कर स्वयं को रखने की कठोर तपस्या की। इसके बाद शिवलिंग अपने स्वरूप में रह गया और गंगा नदी शिवलिंग से दूर चली गईं। ऐसी मान्यता है कि जो साधक यहां महादेव की पूजा करता है। महादेव प्रसन्न होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। हर साल सावन के महीने श्रद्धालु सिद्धनाथ मंदिर में महादेव का जलाभिषेक करते हैं। सावन में सिद्धनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का काशी विश्वनाथ मंदिर जैसा उत्साह देखने को मिलता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।