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Kantaji Temple: बेहद खूबसूरत है कांताजी मंदिर, देखने को मिलती है 18वीं सदी की झलक

कांताजी मंदिर (Kantaji Temple) अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यह बांग्लादेश में स्तिथ है। इसका निर्माण 1722 में हुआ था। यह मंदिर भगवान कृष्ण और देवी राधा की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediPublished: Sat, 02 Mar 2024 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2024 01:44 PM (IST)
Kantaji Temple: बेहद खूबसूरत है कांताजी मंदिर, देखने को मिलती है 18वीं सदी की झलक
Kantaji Temple: कांताजी मंदिर में अठारहवीं सदी की मिलती है झलक

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kantaji Temple: कांताजी मंदिर अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यह बांग्लादेश के दिनाजपुर में स्थित एक उत्तर मध्यकालीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1722 में हुआ था। ऐसी मान्यता है कि जो जातक यहां दर्शन के लिए आते उन्हें कभी खाली हाथ वापस नहीं लौटना पड़ता है, क्योंकि यहां उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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मंदिर में अठारहवीं सदी की मिलती है झलक

यह प्राचीन मंदिर उस समय की धरोहर है, जब बांग्लादेश भारत का ही एक हिस्सा था। साथ ही यह राधा-माधव संप्रदाय का मुख्य मंदिर है, जहां अठारहवीं सदी के शिल्प और उनकी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा प्राणनाथ 1704 ने शुरू करवाया था, जो महाराजा रामनाथ के शासनकाल में 1722 में पूर्ण हुआ था। इस मंदिर को कांतानगर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

बेहद खूबसूरत है इसकी शिल्पकारी

इस मंदिर को देखने के लिए आज भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। हालांकि 1897 में आए भूकंप से इसको काफी नुकसान भी हुआ था, बावजूद इसके लोग इसकी खूबसूरती और शिल्पकारी देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। वहीं पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इसके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

मंदिर से जुड़ी अन्य बातें

कांताजी मंदिर को बनने में 48 साल लग गए थे। यहां भगवान कृष्ण और देवी राधा की दिव्यता का एहसास होता है। साथ ही महाभारत और रामायण की अद्भुत कहानियों की आकर्षक झलक भी इस मंदिर की शिल्पकारी में देखने को मिलती है। इसके अलावा इस प्राचीन मंदिर में समृद्ध राजसी जीवन की कलाकृतियों के चित्रों भी हैं।

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डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।


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