यहां डोरियां बांधने से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं
हिमाचल प्रदेश में अनेक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान हैं जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन्हीं धार्मिक स्थानों में से एक है छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी। यह प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों में विराजमान है। मां चिंतपूर्णी मंदिर ऊना जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है।
चिंतपूर्णी (तरसेम सैनी) : हिमाचल प्रदेश में अनेक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान हैं जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन्हीं धार्मिक स्थानों में से एक है छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी। यह प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों में विराजमान है। मां चिंतपूर्णी मंदिर ऊना जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर व उपमंडल अम्ब के भरवाईं से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर के प्रांगण में स्थित वट वृक्ष अति प्राचीन है। इसके बारे में श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां डोरियां बांधने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके बाद श्रद्धालु बांधी हुई डोरी को खोलते हैं। यहां प्रति वर्ष नववर्ष, श्रावण अष्टमी, चैत्र व आश्विन के नवरात्र में मेले लगते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्र मेलों का आयोजन आठ से 15 अप्रैल तक होगा।
भक्त माई दास के माध्यम से हुआ मां चिंतपूर्णी का प्रादुर्भाव
चिंतपूर्णी मां के स्थान का प्रादुर्भाव देवी भक्त माई दास के माध्यम से माना जाता है। जनश्रुति के अनुसार प्राचीनकाल में पंजाब के जिला पटियाला के अठूर नामक गांव में माई दास और दुर्गा दास नामक दो भाई रहते थे। ये दोनों हिमाचल प्रदेश के रपोह मुचलेयां गांव में रहने लगे व यहां आकर खेतीबाड़ी करने लगे। माई दास का अधिकतर समय पूजा पाठ में व्यतीत होने लगा, जबकि दुर्गा दास अकेले ही खेतीबाड़ी करता था। कहते हैं कि माई दास का ससुराल पिरथीपुर नामक गांव में था। एक बार जब माई दास अपने ससुराल से लौटते वक्त छपरोह गांव से गुजर रहा था तो कुछ देर विश्राम करने के लिए एक वट वृक्ष के नीचे लेट गया तथा उसे नींद आ गई। स्वप्न में माई दास को एक कन्या ने दर्शन दिए तथा कहा कि तुम मेरी यहां नित्य प्रेम पूर्वक पूजा-अर्चना आरंभ करो। जैसे ही स्वप्न टूटा माई दास को कुछ भी दिखाई नहीं दिया तथा वह अपने ससुराल चला गया। रात को बिस्तर में लेटने पर नींद नहीं आ रही थी तथा बार-बार सोने का प्रयास करने के बावजूद वह सो नहीं पाया और रात को ही ससुराल से छपरोह आ गया। यहां आकर मां से विनम्रतापूर्वक प्रार्थना करने लगा कि मां यदि तू सच्ची है तो अभी दर्शन दो माई दास की प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां ने कन्या रूप में दर्शन दिए तथा कहा कि चिरकाल से यहां स्थित वट वृक्ष के नीचे मेरा घर है तथा तुम यहां पूजा-अर्चना आरंभ कर दो। मां ने कहा कि यहां पूजा-अर्चना करने से तुम्हारे और अन्य समस्त लोगों के कष्ट व चिंताए समाप्त हो जाएंगी। माई दास ने कन्या से कहा कि न तो मेरे रहने की व्यवस्था है न ही यहां पीने के लिए पानी का प्रबंध है। ऐसे में कन्या ने कहा कि मैं भक्तों पर प्रकाश डालूंगी जो यहां मंदिर बनवाएंगे व भोग का प्रबंध करेंगे। यहां से 50 गज की दूरी पर पहाड़ी के नीचे एक पत्थर को उखाडऩे से पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। मां ने कहा कि मेरी पूजा के समस्त अधिकार आपके तथा आपके परिवार के होंगे तथा आपके वंश के लिए किसी प्रकार का सूतक-पातक का बंधन नहीं होगा। यहां किसी प्रकार का अत्याचार या गलत कार्य होने पर मैं किसी भी कन्या में प्रवेश कर आपकी समस्या का समाधान करूंगी। ऐसा कहते ही कन्या पिंडी के रूप में लोप हो गई।
नारियल, ढोलक-चिमटा, स्पीकर पर रहेगी पाबंदी
मेला अवधि के दौरान नारियल चढ़ाने, ढोलक-चिमटा और स्पीकर इत्यादि बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के आग्नेय अस्त्र लेकर चलने पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
स्थापित होंगी मेडिकल पोस्ट, 24 घंटे रहेंगी खुली
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेडिकल पोस्ट स्थापित की जाएंगी जो 24 घंटे खुली रहेंगी। आपातकालीन व्यवस्था के लिए 108 एंबुलेंस भी तैनात रहेंगी।
नेशनल हाईवे पर नहीं बंटेगा लंगर
मेला अवधि के दौरान भरवाईं से चिंतपूर्णी के बीच लगने वाले लंगर की अनुमति मंदिर प्रशासन द्वारा दी जाएगी जबकि संबंधित पंचायत क्षेत्रों में यह अनुमति संबंधित पंचायत द्वारा दी जाएगी। एनओसी पुलिस थाना भरवाईं से लेना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त नेशनल हाईवे पर लंगर बांटने की अनुमति नहीं होगी। नियमों का पालन न होने पर लंगर की अनुमति को रद कर दिया जाएगा। मंदिर क्षेत्र के 300 मीटर की परिधि में लंगर नहीं लगाया जाएगा।
ऐसे पहुंचें मां के मंदिर
मां के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु सड़क के अतिरिक्त रेल के माध्यम से भी यहां पहुंच सकते हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अम्ब है जो मंदिर से 25 किलोमीटर दूर है। इसके अतिरिक्त हवाई मार्ग के माध्यम से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कांगड़ा है जहां से श्रद्धालु लगभग दो घंटे का सड़क से सफर कर मां के दरबार में पहुंच सकते हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने के लिए मंदिर न्यास के यात्री सदन के अतिरिक्त यहां निजी क्षेत्र में कई होटल व धर्मशालाएं हैं।
मेला क्षेत्र को तीन सेक्टरों में बांटा, 500 जवान तैनात
मेले के दौरान कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस व होमगॉर्ड के लगभग 500 जवानों की तैनाती की जा रही है। पूरे मेला क्षेत्र को तीन सेक्टरों में बांटा गया है। इसके अलावा प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा की दृष्टि से क्यूआरटी के दस्ते भी तैनात किए हैं तथा मेला अवधि के दौरान भिक्षावृत्ति पर कड़ाई से अंकुश लगाने के लिए कठोर पग उठाए गए हैं।
सुलभ इंटरनेशनल संभालेगी सफाई व्यवस्था
मेले में सफाई व्यवस्था का जिम्मा सुलभ इंटरनेशनल को दिया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 50 से अधिक अस्थायी सुलभ शौचालय स्थापित किए गए है। इसके अतिरिक्त मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एचआरटीसी द्वारा 12 अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी। यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए रिकवरी वैन की तैनाती भी की जाएगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।