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    Shiva Temple: एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, जिसके पत्थरों को थपथपाने से आती है डमरू की आवाज

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Fri, 02 Jun 2023 12:37 PM (IST)

    दुनियाभर में कई शिव मंदिर मौजूद हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों में शिव जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है जो वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर की कई ऐसी खास बातें है जो आपको हैरत में डाल देंगी।

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    Shiva Temple एशिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर।

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क। Shiva Temple: भारत में ऐसे कई मंदिर पाए जाते हैं जिनके पीछे कई पौराणिक कथाएं और रोचक तथ्य छिपे होते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है जटोली शिव मंदिर। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित यह मंदिर केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर हैं। इसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है। 2013 में इसे दर्शनार्थ खोला गया था। यहां दूर-दूर से भक्त, भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। यहां महाशिवरात्रि के दिन अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए भारी संख्या में शिव भक्त उमड़ते हैं। वास्तुकला की दृष्टि से भी यह एक अद्भुत मंदिर है।

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    क्या है इस मंदिर की खास बात

    जटोली मंदिर, राजगढ़ रोड पर स्थित है, और यह सोलन से लगभग 8 किमी दूर है। जटोली शिव मंदिर में एक हैरान कर देने वाली विशेषता यह है कि इसके पत्थरों को थपथपाने से डमरू की आवाज आती है। यह मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली में बना हुआ है। इसे बनाने में पूरे 39 वर्ष का समय लगा था। मंदिर के ऊपरी छोर पर 11 फुट ऊंचा एक विशाल सोने का कलश भी स्थापित है, जो इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देता है।

    क्या है पौराणिक कथा

    जटोली मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय के लिए यहां रहे थे। बाद में सिद्ध बाबा श्रीश्री 1008 स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहां आकर तपस्या की। उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। मंदिर के कोने में स्वामी कृष्णानंद की गुफा भी है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'