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Sawan 2022: दर्शन करने मात्र से हर दुख-दर्द हो जाता है दूर, जानें कानपुर में स्थित बाबा आनंदेश्वर मंदिर के बारे में रोचक बातें

Sawan 2022 Anandeshwar Temple कानपुर में भी भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। बाबा आनंदेश्वर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने मात्र से हर एख कष्ट दूर हो जाता है। जानिए बाबा आनंदेश्वर के बारे में खास बातें।

By Shivani SinghEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2022 03:33 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2022 03:33 PM (IST)
Sawan 2022: दर्शन करने मात्र से हर दुख-दर्द हो जाता है दूर, जानें कानपुर में स्थित बाबा आनंदेश्वर मंदिर के बारे में रोचक बातें
Sawan 2022, Anandeshwar Temple: जानें कानपुर में स्थित बाबा आनंदेश्वर मंदिर के बारे में रोचक बातें

Sawan 2022, Anandeshwar Temple: सावन माह की शुरुआत होते ही शिव मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ लगने लगी है। 12 ज्योतिर्लिंग के अलावा देशभर में शिव भगवान के कई प्राचीन मंदिर स्थित है। इन्हीं मंदिरों में से एक है कानपुर के परमट में स्थित बाबा आनंदेश्वर महादेव मंदिर। इसे परमट मंदिर के नाम से भी जानते हैं। बाबा के इस दर में भक्तों की काफी लंबी लाइनें लगती है।

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ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव यहां पर स्वयं निवास करते हैं। इसी कारण बाबा के दर्शन करने मात्र से हर दुख दर्द दूर होने के साथ मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां पर स्थित शिवलिंग की खोज एक आनंदी नाम की गाय ने की थी। इसी कारण इसे आनंदेश्वर के नाम से जानते हैं। जानिए आनंदेश्वर मंदिर के बारे में खास बातें।

एक गाय ने की थी आनंदेश्वर मंदिर की खोज

कानपुर में स्थित आनंदेश्वर मंदिर को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, गंगा किनारे बसे एक गांव में एक चरवाहा रहता था। जिसके पास काफी खूब सारी गाय थी। जिन्हें वह रोजाना चराने के लिए जंगलों में ले जाता है। इन गायों में एक गाय ऐसी भी थी जिसे शाम के समय जब चरवाहा दूध निकालने जाता था, तो उसकी थन से एक भी दूध नहीं निकलता था। इस बात से वह काफी लंबे समय से परेशान था। फिर एक दिन उसमें विचार किया कि आखिर इस गाय का दूध कौन निकाल लेता है। इसलिए उसने गाय पर नजर रखना शुरू कर दिया। ग्वाले ने देखा कि गाय जंगल में गंगा किनारे जाकर पूरा दूध एक ही स्थान पर रोज निकाल देती है। काफी दिन देखने के बाद ये बात उसने ग्रामीणों को बताई, तो सभी ग्रामीणों ने मिलकर उस स्थान की खुदाई की तो वहां शिवलिंग निकला। इसके बाद ग्रामीणों ने शिवलिंग को गंगा जल और दूध से स्नान करा कर गंगा किनारे ही स्थापित किया और हर कोई उनकी पूजा अर्चना करने लगा। बदलते समय के साथ बाबा आनंदेश्वर का यह मंदिर भव्य बनता चला गया और इसकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई।

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मंगला आरती के बाद देर रात दो बजे से मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। इसी कारण रात से ही बाबा के दर्शन के लिए लंबी लाइनें लग जाती है।

Pic Credit- Instagram/iamprashun

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'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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