Shani Sade Sati: वृषभ राशि के जातकों पर कब से शुरू होगी साढ़ेसाती? ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न
न्याय के देवता शनिदेव (Shani Sade Sati) को शनिवार का दिन समर्पित है। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए शनिवार का व्रत रखा जाता है। शनिदेव की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन जगत की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्ति के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जाता है। स्त्री और पुरुष दोनों ही वैभव लक्ष्मी व्रत रखते हैं।
शुक्रवार के दिन सुखों के कारक शुक्र देव की भी उपासना की जाती है। शुक्र देव की उपासना करने से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। साथ ही साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। वर्तमान समय में वृषभ राशि के जातकों पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा बरस रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि वृषभ राशि के जातकों पर कब से साढ़ेसाती शुरू होगी? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
शनि गोचर 2025
वर्तमान समय में शनिदेव मीन राशि में विराजमान हैं। शनिदेव के मीन राशि में गोचर से मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई है। वहीं, मीन राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल है। वहीं, कुंभ राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है।
शनि गोचर
न्याय के देवता शनिदेव के राशि परिवर्तन करने से मेष राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होगा। वहीं, मीन राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरू होगा। जबकि, कुंभ राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी। इसके साथ ही वृषभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी।
शनि गोचर 2027
न्याय के देवता शनिदेव 03 जून, 2027 को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन शनिदेव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। 03 जून, 2027 से वृषभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी। भगवान शिव की पूजा करने से न्याय के देवता शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनि देव के मंत्र
1. ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
2. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
3. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
4. अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
5. ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
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