Ketu Gochar 2026: सिंह राशि वालों को कब मिलेगी केतु से मुक्ति? इन उपायों से पाएं मायावी ग्रह की कृपा
रविवार सूर्य देव को समर्पित है, जिनकी पूजा से करियर में सफलता मिलती है। वर्तमान में सिंह राशि के जातक मायावी ग्रह केतु से पीड़ित हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, 5 दिसंबर 2026 को केतु सिंह राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेगा, जिससे सिंह राशि वालों को इस परेशानी से मुक्ति मिलेगी। साल 2026 में राहु, केतु, बृहस्पति और शनि के राशि परिवर्तन से कई राशियों के जीवन में शुभ-अशुभ प्रभाव देखने को मिलेंगे।
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Ketu Gochar 2026: मायावी ग्रह केतु को कैसे प्रसन्न करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रविवार का दिन आत्मा के कारक सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की भक्ति भाव से पूजा और साधना की जाती है। साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए रविवार का व्रत रखा जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।

ज्योतिषियों की मानें तो सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं और आराध्य जगत के पालनहार भगवान विष्णु हैं। वहीं, मेष राशि के जातकों पर सूर्य देव की विशेष कृपा बरसती है।
वर्तमान समय में सिंह राशि के जातक मायावी ग्रह केतु से पीड़ित है। सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं। सूर्य देव और केतु के मध्य शत्रुवत संबंध है। इसके लिए सिंह राशि के जातकों को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि कब सिंह राशि के जातकों को केतु से मुक्ति मिलेगी?
ग्रहों का संयोग
साल 2026 कई राशि के जातकों के लिए शुभ रहने वाला है। अगले साल मायावी राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे। इसके साथ ही देवगुरु बृहस्पति राशि परिवर्तन करेंगे। इसके अलावा, न्याय के देवता शनिदेव अपनी चाल बदलेंगे। इससे कई राशि के जातकों को शुभ फल मिलेगा। वहीं, कई राशि के जातकों को जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
कब मिलेगी मायावी ग्रह से मुक्ति?
ज्योतिषियों की मानें तो मायावी ग्रह केतु 05 दिसंबर, 2026 को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन केतु सिंह राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेंगे। राहु और केतु दोनों ही वक्री चाल चलते हैं।
विष्णु मंत्र
1. ॐ नमोः नारायणाय॥
2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
5. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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