जुलाई में इस तारीख को बन रहा है विष योग, इन राशि वालों को होगी मानसिक परेशानी
16 से 18 जुलाई को चंद्रमा मीन राशि में गोचर करेगा। उस दौरान शनि भी मीन राशि में होंगे। हालांकि, वह 13 जुलाई को वक्री अवस्था में पहुंच चुके हैं। मगर, शनि और चंद्रमा की युति की वजह से मीन राशि में विष योग बन रहा है। जानिए इस योग के क्या हैं दुष्प्रभाव और कैसे बचें।
शारीरिक, मानसिक और पारिवारिक परेशानियां हो सकती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जुलाई का महीना ग्रह गोचर के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। इस महीने में सूर्य, शुक्र और मंगल ग्रह जहां राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। वहीं, शनि, बुध और गुरु की स्थिति में बदलाव होने जा रहा है।
इसके साथ ही शनि और चंद्रमा की युति बनने से विष योग का निर्माण होगा। इसे ज्योतिष में नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है। दरअसल, मीन राशि में मौजूद शनि 13 जुलाई को वक्री अवस्था में होने जा रहे हैं। इसके बाद 16 जुलाई को जब चंद्रमा कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तो विष योग बनेगा।
विष योग में मिलते हैं कष्ट
विष योग की वजह से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और पारिवारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। चंद्रमा को मन, जल तत्व और माता का कारक माना जाता है। वहीं, शनि को तनाव, कष्ट और रोगों के कारक माना जाता है।
जब शनि और चंद्रमा एक राशि में साथ में आते हैं, तो व्यक्ति को मानसिक कष्ट, शारीरिक कष्ट, बीमारियां घेर लेती हैं। यदि इस योग के दौरान किसी बालक का जन्म होता है, तो उसके जीवन में यह सब परेशानियां हमेशा बनी रहती हैं।
इन राशि के जातक होंगे परेशान
चंद्रमा सवा दो दिन में एक राशि में रहता है। लिहाजा, 16 से 18 जुलाई के दौरान जब चंद्रमा और शनि एक साथ मीन राशि में गोचर कर रहे होंगे, तो इसका सबसे ज्यादा असर मीन और कन्या राशि के जातकों पर पड़ेगा।
जल तत्व की मीन राशि में बैठकर चंद्रमा बहुत ज्यादा भावुक और संवेदनशील हो जाता है। जब उस पर शनि का प्रभाव होता है, तो व्यक्ति उस तनाव को झेल नहीं पाता है। लिहाजा, मीन राशि के जातकों को मानसिक परेशानी ज्यादा महसूस होगी।
वहीं, कन्या राशि के जातकों को वैवाहिक जीवन में तनाव और दबाव देखने को मिल सकता है। पार्टनरशिप के काम में भी उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
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इन उपायों को कर सकते हैं
- विष योग की शांति के लिए व्यक्ति को शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिए।
- मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- शनि देव की पूजा करनी चाहिए और शनिवार को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए।
- पीपल के वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीपक लगाना चाहिए।
- शनिवार को काली उड़द का दान करने से भी काफी राहत मिलती है।
- इसके आलावा शनि और चंद्रमा के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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