कब और कैसे कुंडली में लगता है पद्म कालसर्प दोष? इन उपायों से करें मायावी ग्रह को प्रसन्न
देवों के देव महादेव को सोमवार का दिन समर्पित होता है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव का अभिषेक किया जाता है। ज्योतिष कालसर्प दोष (Padam Kaal sarp Dosh) निवारण के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वर्तमान समय में राहु कुंभ राशि में विराजमान हैं। वहीं, केतु सिंह राशि में उपस्थित हैं। राहु और केतु दोनों को मायावी ग्रह कहा जाता है। दोनों वक्री चाल चलते हैं। राहु और केतु एक राशि में डेढ़ साल तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो 05 दिसंबर, 2026 को राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे। राहु और केतु के राशि परिवर्तन से कुंभ और सिंह राशि के जातकों को मायावी ग्रह से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंडली में कब और कैसे पद्म कालसर्प दोष लगता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
पद्म कालसर्प दोष के प्रभाव
ज्योतिषियों का मत है कि कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षा से जुड़े जातकों को करियर में कामयाबी नहीं मिलती है।
विवाहित दंपति को संतान प्राप्ति में देर होती है। व्यक्ति के व्यवहार और विचार में बदलाव देखने को मिलता है। व्यक्ति कई बार गलत फैसले ले लेता है। साथ ही बुरी संगतियों का भी आदी हो जाता है। इसके लिए पद्म कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को अपने चरित्र पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अच्छे कर्म करने चाहिए।
कब बनता है पद्म कालसर्प दोष?
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में राहु के पंचम भाव में रहने और केतु के ग्यारहवें भाव में रहने से पद्म कालसर्प दोष लगता है। इस दौरान मायावी राहु और केतु के मध्य सभी शुभ और अशुभ ग्रह रहते हैं। इस स्थिति में पद्म कालसर्प दोष लगता है। आसान शब्दों में कहें तो कुंडली में राहु के पंचम और केतु के ग्यारहवें भाव में रहने के साथ सभी शुभ और अशुभ ग्रह मायावी ग्रह के मध्य में रहने पर जातक पद्म कालसर्प दोष से पीड़ित होता है।
उपाय
पद्म कालसर्प दोष का निवारण अनिवार्य है। इसके लिए अमावस्या और त्रयोदशी तिथि उत्तम है। इसके साथ ही सोमवार के दिन भी पद्म कालसर्प दोष का निवारण करा सकते हैं। वहीं, पद्म कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए देवों के देव महादेव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके अलावा, महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इन उपायों को करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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