Varuthini Ekadashi 2025: एकादशी का व्रत क्यों करना चाहिए, इस तिथि का क्यों है इतना महत्व
Ekadashi Vrat Significance एकादशी के दिन पृथ्वी की एक खास स्थिति होती है जिस दिन ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है। एकादशी का पूजन और व्रत करने से व्यक्ति धरती पर सुखमय जीवन जीता है। मोह माया से छूट जाता है। खुद तो मोक्ष प्राप्त करता ही है साथ ही पूर्वजों को भी मोक्ष दिलवाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ekadashi Vrat Significance: यह तो आप सभी को पता होगा कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और उनका व्रत किया जाता है। मगर, एकादशी की तिथि का इतना महत्व क्यों है? इस दिन व्रत करने से क्या लाभ मिलते है?
ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब जानकर आप धर्म और आध्यात्म से ज्यादा गहराई से जुड़ सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं। हर महीने दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। पूर्णिमा और अमावस्या के 11 दिन बाद आने वाली तिथि को एकादशी कहते हैं।
एकादशी के पूजन से क्या फल मिलते हैं
इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने (Ekadashi Vrat Benefits) का विधान है। ऐसा करने के घर में सुख-समृद्धि आती है। सभी पापों का नाश होता। मोह-माया के बंधन खत्म हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत और पूजन करता है, उसके पूर्वजों को भी मोक्ष मिलता है।
क्यों रखना चाहिए व्रत
एकादशी के दिन पृथ्वी की एक खास स्थिति होती है, जिस दिन ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है। यदि उस दिन आपका पेट खाली होगा और व्रत व पूजन से आप उस ऊर्जा को महसूस करना चाहेंगे, तो आपको मानसिक शांति के साथ ही आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होगी।
एकादशी के दिन व्रत करके अगर आप अपने शरीर को हल्का और सहज रखें (Ekadashi vrat Niyam), तो आपकी चेतना सक्रिय रहेगी और आप स्वयं के प्रति जागरूक रहेंगे। वहीं, यदि आपने इस दिन भर पेट खाना खाया है, तो आप सुस्त रहेंगे और इस दिन की ऊर्जा का लाभ नहीं ले सकेंगे।
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भूख को कैसे रखें काबू में
यदि आपको ज्यादा भूख सताती है, तो आप एकादशी का व्रत करने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में आपका ध्यान एकादशी के व्रत और पूजन पर नहीं होगा। इस परेशानी से निपटने के लिए आप एक आंवले का टुकड़ा चबाते रहें। दरअसल, इसमें ऐसे एंजाइम होते हैं, जो भूख बढ़ाने वाले पाचक रसों को शांत रखते हैं।
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आंवले का टुकड़ा चबाते रहने से आपको 3-4 घंटे तक भूख नहीं लगेगी। व्रत के दिन यदि आप कुछ खाना चाहते हैं, तो मिश्रित अनाज का दलिया, हल्का तला काला चना, पपीता आदि खा सकते हैं। कोशिश यही रहनी चाहिए कि बार-बार मन खाने की तरफ न जाए और आप अपनी साधाना की दिशा में आगे बढ़ सकें।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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