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    Varuthini Ekadashi पर न करें तुलसी से जुड़ी ये गलतियां, वरना नहीं मिलेगी प्रभु श्रीहरि की कृपा

    Updated: Wed, 23 Apr 2025 04:54 PM (IST)

    एकादशी के दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व माना गया है। आपको एकादशी के दिन तुलसी पूजन का लाभ तभी मिल सकता है जब आप इस दिन पर तुलसी से संबंधित कुछ नियमों ...और पढ़ें

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    Varuthini Ekadashi 2025 तुलसी से संबंधित नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख माह में वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 24 अप्रैल को किया जा रहा है। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय मानी जाती है। ऐसे में एकादशी के दिन तुलसी का महत्व काफी बढ़ जाता है। इस दिन पर तुलसी से संबंधित कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखें, ताकि आपके ऊपर विष्णु जी की कृपा बनी रहे। 

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    भूलकर भी न करें ये काम

    एकादशी तिथि पर भूल से भी तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए, ऐसा करना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी पर तुलसीं माता भगवान विष्णु के निमित्त निर्जला व्रत रखती हैं। इसी के साथ एकादशी पर तुलसी के पत्ते भी नहीं तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी को स्पर्श करना चाहिए।

    नाराज हो सकती हैं मां लक्ष्मी

    तुलसी के आस-पास साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी का संबंध मां लक्ष्मी से भी माना गया है और जहां स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता वहां कभी भी लक्ष्मी जी का वास नहीं होता। इसी के साथ तुलसी के पाठ जूते-चप्पल या कूड़ेदान जैसी चीजें भी नहीं रखनी चाहिए, वरना आपको मां लक्ष्मी की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।

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    न करें ये गलतियां

    एकादशी के दिन स्नान करने के बाद ही तुलसी की पूजा करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि बिना स्पर्श किए तुलसी की पूजा करनी चाहिए। वहीं भगवान विष्णु के भोग में शामिल करने के लिए आप तुलसी का पत्ता एक दिन पहले ही उतारकर रख सकते हैं।

    (Picture Credit: Freepik)

    इस तरह प्राप्त करें कृपा

    एकादशी के दिन तुलसी पूजन के दौरान एक घी का दीपक जरूर जलाएं और तुलसी माता के मंत्रों का जप करते हुए अंत में तुलसी जी की आरती करें। बस इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन काले या फिर नीले रंग के कपड़े पहनकर तुलसी की पूजा न करें। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।