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    Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर जरूर करें ये उपाय, मिलेगा मनचाहा वरदान

    Updated: Thu, 25 Apr 2024 02:48 PM (IST)

    सनातन संस्कृति में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है। इस तिथि पर कई नियमों का उल्लेख किया गया है ताकि आपको एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ मिल सके। ऐसे में हम आपको आज वरुथिनी एकादशी के कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें करने से आप जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।

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    Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर करें ये उपाय।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2024 Upay: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक वर्ष वैशाख माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी पर वरुथिनी एकादशी व्रत किया जाता है। विष्णु जी की कृपा प्राप्ति के लिए यह एक उत्तम दिन माना गया है। ऐसे में यदि आप वैशाख माह की इस एकादशी पर कुछ खास उपाय आजमाते हैं, तो आपको जीवन में बहुत-से लाभ देखने को मिल सकते हैं।

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    वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 मई को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर आरंभ होने जा रही है। साथ ही इस तिथि समापन 04 मई को रात 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 04 मई, शनिवार के दिन मान्य होगी।

    मिलेगा मनचाहा वरदान

    एकादशी व्रत के दौरान भगवान श्री विष्णु की पूजा में शंख का इस्तेमाल जरूर करें। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है। वरुथिनी एकादशी के दिन शंख से भगवान श्री विष्णु को स्नान कराएं और इसके बाद पूजा के दौरान इस शंख को बजाएं। इस उपाय को करने से तो श्री हरि की कृपा से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।

    यह भी पढ़ें -  Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, जान लें किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

    जरूर करें ये काम

    वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा के दौरान विष्णु जी को भोग में तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करें। तुलसी जी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता है। ऐसे में एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी का भोग लगाने से विष्णु जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं, जिससे आपके परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

    लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए। ऐसे में विष्णु जी के भोग के लिए पहले ही तुलसी के पत्ते उतारकर रख लें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'