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    Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, जान लें किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

    Updated: Thu, 25 Apr 2024 10:28 AM (IST)

    वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2024) पर श्री हरि विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के भयों से मुक्ति मिलती है और अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इस साल वरुथिनी एकादशी 4 मई को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप भी वरुथिनी एकादशी का उपवास रख रहे हैं तो आपको इस दिन के कुछ नियम जरूर जान लेना चाहिए तो आइए जानते हैं -

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    Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2024: वैशाख माह में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक भगवान विष्णु की पूजा भाव के साथ करते हैं उन्हें सभी प्रकार के भयों से मुक्ति मिलती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस साल वरुथिनी एकादशी 4 मई, 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी।

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    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर आप भी वरुथिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं, तो आपको इस दिन के कुछ नियम जरूर जान लेना चाहिए, जो इस प्रकार हैं -

    वरुथिनी एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई, 2024 रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 4 मई, 2024 को रात्रि 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए यह व्रत 4 मई को रखा जाएगा। इसके साथ ही इसकी पूजा प्रातः 07 बजकर 18 मिनट से प्रातः 08 बजकर 58 मिनट के बीच होगी।

    वरुथिनी एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं ?

    • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।
    • पवित्र कपड़े पहनें और भगवान विष्णु के सामने व्रत रखने का संकल्प लें।
    • मांस, मछली, प्याज, लहसुन, अंडे और शराब आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें।
    • इसके अलावा भक्तों को अनाज और फलियां खाने से बचना चाहिए।
    • इस दिन तुलसी के पत्ते भूलकर भी न तोड़ें।
    • व्रती तेल के सेवन से बचें, इस दिन देसी घी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
    • भक्त अपने बाल दशमी तिथि के दिन धोएं न कि एकादशी व्रत के दिन।
    • भक्तों को एकादशी व्रत के दिन श्रीमद्भागवतम् या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
    • व्रत के दौरान भक्तों को सोने, दूसरों को गाली देने और असत्य बोलने से बचना चाहिए।
    • व्रत का समापन द्वादशी तिथि को निर्धारित पारण समय के अनुसार करना चाहिए

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।