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    Shattila Ekadashi 2025 Date: जनवरी महीने में कब है षटतिला एकादशी? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    सनातन धर्म में एकादशी तिथि (Shattila Ekadashi 2025 Date) पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 06 Jan 2025 08:45 PM (IST)
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    Shattila Ekadashi 2025 Date: षटतिला एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन षटतिला एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, साधक को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर साधक भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। आइए, षटतिला एकादशी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    कब मनाई जाएगी षटतिला एकादशी?

    माघ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन षटतिला एकादशी मनाई जाती है। जनवरी महीने में  25 जनवरी को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी। इस व्रत को करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि षटतिला एकादशी व्रत करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।

    षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, षटतिला एकादशी तिथि का समापन 25 जनवरी को रात 08 बजकर 31 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्य उगने के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 25 जनवरी को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी।

    षटतिला एकादशी शुभ योग (Shattila Ekadashi Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे। इसके अलावा, ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग है। साथ ही बव, बालव एवं कौलव करण के योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।