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    Shattila Ekadashi की पूजा में करें इन मंत्रों का जप, जमकर बरसेगी प्रभु श्रीहरि की कृपा

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 03:12 PM (IST)

    हर माह में दो बार यानी शुक्ल और कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत किए जाने का विधान है। इस दिन मुख्य रूप से जगत के पालनहार माने गए भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कई साधक इस दिन पर व्रत आदि भी करते हैं। ऐसे में माघ माह में शनिवार 25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी।

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    Shattila Ekadashi 2025 भगवान विष्णु को ऐसे करें प्रसन्न। (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी पर षटतिला एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी पर तिल से खास संबंध माना गया है। इसलिए इस दिन एकादशी की पूजा में तिल को शामिल जरूर करना चाहिए और श्रीहरि को तिल से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से विष्णु जी की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है, जिससे साधक को जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।

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    एकादशी शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi Muhurat)

    माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 24 जनवरी 2025 को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर हो रही है। इसी के साथ एकादशी तिथि का समपान 25 जनवरी को रात 08 बजकर 31 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए, षटतिला एकादशी शनिवार, 25 जनवरी को मनाई जाएगी।

    विष्णु जी के मंत्र -

    (Picture Credit: Freepik)

    एकादशी की पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना काफी लाभकारी माना जाता है। इससे साधक को न केवल विष्णु जी की प्राप्ति होती है, बल्कि माता लक्ष्मी भी अपनी दया दृष्टि बनाए रखती हैं।

    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

    ॐ नमो नारायणाय

    ॐ विष्णवे नम:

    ॐ हूं विष्णवे नम:


    मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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    विष्णु गायत्री मंत्र -

    ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    क्लेश नाशक श्री विष्णु मंत्र -

    कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

    प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

    श्री विष्णु रूपम मंत्र -

    शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

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    ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

    ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।


    दन्ताभये चक्र दरो दधानं,

    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।