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    Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये कार्य, वरना भगवान विष्णु होंगे नाराज

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Mon, 05 Feb 2024 12:31 PM (IST)

    माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी के दिन कुछ कार्यों को करने की सख्त मनाही है।

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    Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये कार्य, वरना भगवान विष्णु होंगे नाराज

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shattila Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर महीने में दो एकादशी तिथि होती है। एक कृष्ण पक्ष दूसरी शुक्ल पक्ष में। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एकादशी के दिन कुछ कार्यों को करने की सख्त मनाही है, जिनको करने से इंसान को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है और भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं। चलिए जानते हैं षटतिला एकादशी के दिन किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।

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    षटतिला एकादशी के दिन न करें ये कार्य

    -एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु के रोम से चावल की उत्पत्ति मानी जाती है।

    -इसके अलावा तामसिक भोजन और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।

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    -षटतिला एकादशी के दिन किसी से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे षटतिला एकादशी व्रत के फल से वंछित रह जाएंगे।

    -षटतिला एकादशी के दिन किसी इंसान के प्रति गलत नहीं सोचना चाहिए और न ही किसी की बुराई करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और भजन-कीर्तन करना चाहिए।

    -इसके अलावा इस व्रत करने वाले इंसान को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए।

    षटतिला एकादशी डेट और शुभ मुहूर्त

    माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। दैनिक पंचांग के अनुसार, षटतिला एकादशी तिथि की शुरुआत 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 24 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 6 फरवरी को शाम 4 बजकर 7 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार षटतिला एकादशी व्रत 6 फरवरी को किया जाएगा।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।