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    Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी के दिन इन मंत्रों के जाप से मनचाही मनोकामनाएं होंगी पूरी

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Sat, 03 Feb 2024 01:55 PM (IST)

    माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत 6 फरवरी को है। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है।

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    Shattila Ekadashi 2024: षटतिला एकादशी के दिन इन मंत्रों के जाप से मनचाही मनोकामनाएं होंगी पूरी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shattila Ekadashi 2024 Mantra: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का अधिक महत्व है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह व्रत 6 फरवरी को है। इस खास अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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    शास्त्रों में भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष मंत्रों का वर्णन किया गया है, जिनका उच्चारण पूजा के दौरान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही साधक की मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। षटतिला एकादशी के मंत्र इस प्रकार है-

    षटतिला एकादशी व्रत के मंत्र

    1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

    हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

    2. ॐ नारायणाय विद्महे।

    वासुदेवाय धीमहि ।

    तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

    3. ॐ विष्णवे नम:

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    4. शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

    विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

    लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।

    5.धन-समृद्धि मंत्र

    ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।

    ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।

    6.लक्ष्मी विनायक मंत्र

    दन्ता भये चक्र दरो दधानं,

    कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,

    लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

    7.विष्णु के पंचरूप मंत्र

    ॐ अं वासुदेवाय नम:।।

    ॐ आं संकर्षणाय नम:।।

    ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।

    ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।

    ॐ नारायणाय नम:।।

    ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

    8. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।

    बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

    करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।

    नारायणयेति समर्पयामि ॥

    कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा

    बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

    करोति यद्यत्सकलं परस्मै

    नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

    9.ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।