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    Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी पर इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, यहां पढ़ें भोग, मंत्र और शुभ मुहूर्त

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 09:09 AM (IST)

    एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ष्ण पक्ष की ...और पढ़ें

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    Saphala Ekadashi 2025: सफला एकादशी के दिन कैसे करें पूजा?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 15 दिसंबर (Saphala Ekadashi 2025 Date) को सफला एकादशी व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक के बिगड़े काम पूरे होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं सफला एकादशी की पूजा विधि (Saphala Ekadashi 2025 Puja Vidhi) और व्रत का पारण का समय।

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    सफला एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Saphala Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह में सफला एकादशी व्रत आज यानी 15 दिसंबर को किया जा रहा है और 16 दिसंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।
    पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 14 दिसंबर को रात 08 बजकर 46 मिनट पर
    पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन - 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 09 मिनट पर

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    सफला एकादशी पारण डेट और टाइम (Saphala Ekadashi Paran Date and Time)

    16 दिसंबर को व्रत का पारण करने का समय सुबह 06 बजकर 55 मिनट 09 बजकर 03 मिनट तक है।

    सफला एकादशी 2025 पूजा विधि (Saphala Ekadashi 2025 Paran Vidhi)

    एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद घर और मंदिर की सफाई करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करें। सफला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। एकादशी माता की आरती करें और आखिरी में भोग लगाएं।

    सफला एकादशी भोग (Saphala Ekadashi Bhog)

    इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को पंचामृत, पंजीरी, पीली मिठाई और पीले फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।

    विष्णु मंत्र

    1. ॐ नमोः नारायणाय॥

    2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र

    ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

    3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

    तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    भगवान विष्णु की आरती

    ॐ जय जगदीश हरे आरती

    ॐ जय जगदीश हरे...

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

    स्वामी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।