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    Papmochani Ekadashi पर शिव और सिद्धि समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, मिलेगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 16 Mar 2025 03:57 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि लक्ष्मी नारायण जी की पूजा (Papmochani Ekadashi 2025) करने से जीवन में साधक को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से एकादशी के दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है।

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    Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी है। यह पर्व हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी (Papmochani Ekadashi March 2025 Kab hai) की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है।

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    ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी तिथि पर शिव और सिद्धि समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। आइए, पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    पापमोचनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Papmochani Ekadashi Shubh Muhurat)

    चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर होगी और 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, पापमोचनी एकादशी का पारण 26 मार्च को दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 08 मिनट के मध्य किया जाएगा।

    पापमोचनी एकादशी शुभ योग (Papmochani Ekadashi Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर शिव योग का संयोग दोपहर 02 बजकर 53 मिनट तक है। इसके बाद सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी।  

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 35 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 45 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 57 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।