Papankusha Ekadashi Katha: पापांकुशा एकादशी के दिन पढ़ें यह कथा, सभी पापों से मिलेगी मुक्ति
Papankusha Ekadashi Katha वैदिक पंचाग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पापांकुशा एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही व्रत भी किया जाता है। इस दिन व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे साधक व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ मानी जाती है। इस तिथि पर पापांकुशा एकादशी व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही दुखों से छुटकारा मिलता है।
अगर आप भी श्रीहरि की कृपा प्राप्त और व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो एकादशी के दिन पूजा के दौरान व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Katha) का पाठ करें। ऐसा माना जाता है कि व्रत कथा का पाठ करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत कथा।
पापंकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर एक बहेलिया रहता था। वह बहुत ही क्रूर और हिंसक था। उसने अपने पूरे जीवन में लूट-पाट, हिंसा और गलत काम किए। जब बहेलिया का अंतिम समय आ गया, तो यमराज ने अपने दूतों से बहेलिया को लाने के लिए कहा। यमदूत ने बहेलिया को बताया कि उसका कल धरती पर अंतिम दिन है। आखिरी समय नजदीक आने पर वह बहुत डरा हुआ था। उसने अपने बुरे कर्मों का अनुमान लगाया कि अंतिम सांस के बाद उसे बुरे कर्मों की सजा भुगतनी पड़ेगी। बहेलिया को परेशान देख अंगिर ऋषि को उसपर दया आ गई।
उसने अंगिर ऋषि को कहा कि बहेलिया होने की वजह से मैंने अपने जीवन के दौरान कई पशु-पक्षियों मारना पड़ा है। इसी वजह से मेरे द्वारा बहुत पाप हुए हैं। ऐसे में मुझे नर्क में जाना पड़ेगा। अंगिर ऋषि आप मुझे ऐसा कोई उपाय बताए जिससे मुझे सभी पापों से मुक्ति मिल जाए। अंगिर ऋषि ने आश्विन माह के शुक्ल की पापांकुशा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। इसके बाद उसने विधिपूर्वक एकादशी व्रत किया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पापांकुशा एकादशी व्रत को करने से बहेलिया को मोक्ष प्राप्त हुआ।
पापांकुशा एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 03 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत किया जा रहा है।
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 02 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 10 मिनट पर
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर
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