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    Mokshada Ekadashi Katha: मोक्षदा एकादशी के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, बुरे कर्मों से मिलेगा छुटकारा

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 06:30 AM (IST)

    Mokshada Ekadashi Katha वैदिक पंचाग के अनुसार, आज यानी 01 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि कथा का पाठ करने से व्रत सफल होता है।

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    Mokshada Ekadashi Vrat Katha: मोक्षदा एकादशी के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन शास्त्रों में मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2025) का विशेष महत्व बताया गया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन कथा का पाठ करने से साधक को शुभ फल मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi katha in Hindi) की व्रत कथा।

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    मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)

    पौराणिक कथा के अनुसार, चंपकनगर नाम के राज्य में वैखानस (Mokshada Ekadashi ki Katha) नामक राजा राज्य करता था। इस राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। एक बार राजा को बुरा सपना आया। उसने देखा कि उसके पूर्वज नरक में पड़े हैं। इस सपने को देख राजा बेहद दुखी हुआ। इस सपने के बारे में राजा ने ब्राह्मणों को बताया। राजा ने ब्राह्मणों से कहा कि सपने में पूर्वज नरक में निकालने की गुहार लगा रहे थे। राजा ने कहा कि इस सपने को देख मुझे बेहद दुख हो रहा है। जब से इस सपने को देखा है तब से मैं बहुत ही बैचेन हूं।

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    राजा ने ऋषि को बताया सपना (Mokshada Ekadashi kahani)

    उन्होंने कहा कि ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए? ब्राह्मणों ने बताया कि यहीं पास में पर्वत ऋषि का आश्रम है। वहां भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता हैं। आपकी समस्या का समाधान ऋषि जरूर करेंगे। ब्राह्मणों की आज्ञा का पालन कर राजा ऋषि मुनि के आश्रम में पहुंचा। उसने ऋषि को सपने के बारे में बताया।

    ऋषि ने राजा को दी ये सलाह

    राजा ने कहा कि मेरे पूर्वज नरक भोग रहे हैं। ऐसे में मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा हूं। उनको मैं नरक से कैसे निकालूं। ऋषि ने राजा को मार्गशीर्ष माह के शुक्‍ल पक्ष एकादशी तिथि का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे। इसके बाद राजा ने विधिपूर्वक व्रत मोक्षदा एकादशी व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा का पूर्वज बुरे कर्मों से मुक्त हो गए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।