Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rama Ekadashi के दिन इस स्तोत्र के पाठ से सभी पापों से मिलेगी मुक्ति, प्रसन्न होंगे श्रीहरि

    Updated: Sun, 27 Oct 2024 05:56 PM (IST)

    कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत दीवाली से पहले किया जाता है। धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत और विष्णु जी की विधिपूर्वक उपासना करने से जीवन के दुख और दर्द दूर होते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो रमा एकादशी पर श्रीहरि स्तोत्र और परमेश्वर स्तुति स्तोत्र का पाठ करें।

    Hero Image
    Lord Vishnu: ऐसे करें श्रीहरि को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आज यानी 28 अक्टूबर को रमा एकादशी व्रत (Rama Ekadashi 2024 Dare) किया जा रहे है। यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि रमा एकादशी व्रत को करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। श्रीहरि स्तोत्र और परमेश्वर स्तुति स्तोत्र के पाठ से पुण्य-प्रताप की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ॥ श्री हरि स्तोत्रम् ॥

    जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

    नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥

    सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

    गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं

    भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है। इस दिन विष्णु जी पूजा के प्रिय भोग शामिल करने चाहिए।

    चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥

    जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं

    जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥

    कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

    स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥

    समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं

    सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥

    यह भी पढ़ें: Rama Ekadashi 2024: ऐसे करना चाहिए एकादशी व्रत का पारण, जानें सही समय और नियम

     सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं

    सदा युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥

    रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं

    मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥

    ॥ फलश्रुति ॥

    इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:

    स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥

    ॥ परमेश्वर स्तुति स्तोत्रम् ॥

    त्वमेकः शुद्धोऽसि त्वयि निगमबाह्या मलमयं

    प्रपञ्चं पश्यन्ति भ्रमपरवशाः पापनिरताः।

    बहिस्तेभ्यः कृत्वा स्वपदशरणं मानय विभो

    गजेन्द्रे दृष्टं ते शरणद वदान्यं स्वपददम्॥1॥

    न सृष्टेस्ते हानिर्यदि हि कृपयातोऽवसि च मां

    त्वयानेके गुप्ता व्यसनमिति तेऽस्ति श्रुतिपथे।

    अतो मामुद्धर्तुं घटय मयि दृष्टि सुविमलां

    न रिक्तां मे याच्ञां स्वजनरत कर्तुं भव हरे॥

    ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी की पूजा के दौरान विष्णु जी और मां लक्ष्मी की उपासना करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

    कदाहं भो स्वामिन्नियतमनसा त्वां हृदि

    भजन्नभद्रे संसारे ह्यनवरतदुःखेऽतिविरसः।

    लभेयं तां शान्तिं परममुनिभिर्या ह्यधिगता

    दयां कृत्वा मे त्वं वितर परशान्तिं भवहर॥

    विधाता चेद्विश्वं सृजति सृजतां मे शुभकृतिं

    विधुश्चेत्पाता मावतु जनिमृतेर्दुःखजलधेः।

    हरः संहर्ता संहरतु मम शोकं सजनकं

    यथाहं मुक्तः स्यां किमपि तु तथा ते विदधताम्॥

    अहं ब्रह्मानन्दस्त्वमपि च तदाख्यः सुविदित

    स्ततोऽहं भिन्नो नो कथमपि भवत्तः श्रुतिदृशा।

    तथा चेदानीं त्वं त्वयि मम विभेदस्य जननीं

    स्वमायां संवार्य प्रभव मम भेदं निरसितुम्॥

    कदाहं हे स्वामिञ्जनिमृतिमयं दुःखनिबिडं

    भवं हित्वा सत्येऽनवरतसुखे स्वात्मवपुषि।

    रमे तस्मिन्नित्यं निखिलमुनयो ब्रह्मरसिका

    रमन्ते यस्मिंस्ते कृतसकलकृत्या यतिवरा॥

    पठन्त्येके शास्त्रं निगममपरे तत्परतया

    यजन्त्यन्ये त्वां वै ददति च पदार्थांस्तव हितान्।

    अहं तु स्वामिंस्ते शरणमगमं संसृतिभयाद्यथा

    ते प्रीतिः स्याद्धितकर तथा त्वं कुरु विभो॥

    अहं ज्योतिर्नित्यो गगनमिव तृप्तः सुखमयः

    श्रुतौ सिद्धोऽद्वैतः कथमपि न भिन्नोऽस्मि विधुतः।

    इति ज्ञाते तत्त्वे भवति च परः संसृतिलया

    दतस्तत्त्वज्ञानं मयि सुघटयेस्त्वं हि कृपया॥

    अनादौ संसारे जनिमृतिमये दुःखितमना

    मुमुक्षुः सन्कश्चिद्भजति हि गुरुं ज्ञानपरमम्।

    ततो ज्ञात्वा यं वै तुदति न पुनः क्लेशनिवहै

    भजेऽहं तं देवं भवति च परो यस्य भजनात्॥

    विवेको वैराग्यो न च शमदमाद्याः षडपरे

    मुमुक्षा मे नास्ति प्रभवति कथं ज्ञानममलम्।

    अतः संसाराब्धेस्तरणसरणिं मामुपदिशन्

    स्वबुद्धिं श्रौतीं मे वितर भगवंस्त्वं हि कृपया॥

    कदाहं भो स्वामिन्निगममतिवेद्यं शिवमयं

    चिदानन्दं नित्यं श्रुतिहृतपरिच्छेदनिवहम्।

    त्वमर्थाभिन्नं त्वामभिरम इहात्मन्यविरतं

    मनीषामेवं मे सफलय वदान्य स्वकृपया॥

    यदर्थं सर्वं वै प्रियमसुधनादि प्रभवति

    स्वयं नान्यार्थो हि प्रिय इति च वेदे प्रविदितम्।

    स आत्मा सर्वेषां जनिमृतिमतां वेदगदित

    स्ततोऽहं तं वेद्यं सततममलं यामि शरणम्॥

    मया त्यक्तं सर्वं कथमपि भवेत्स्वात्मनि मतिस्त्वदीया

    माया मां प्रति तु विपरीतं कृतवती।

    ततोऽहं किं कुर्यां न हि मम मतिः क्वापि चरति

    दयां कृत्वा नाथ स्वपदशरणं देहि शिवदम्॥

    नगा दैत्या: कीशा भवजलधिपारं हि गमितास्त्वया

    चान्ये स्वामिन्किमिति समयेऽस्मिञ्छयितवान्।

    न हेलां त्वं कुर्यास्त्वयि निहितसर्वे मयि विभो

    न हि त्वाहं हित्वा कमपि शरणं चान्यमगमम्॥

    अनन्ताद्या विज्ञा न गुणजलधेस्तेऽन्तमगमन्नतः

    न पारं यायात्तव गुणगणानां कथमयम्।

    गुणवद्धि त्वां जनिमृतिहरं याति परमां

    गतिं योगिप्राप्यामिति मनसि बुद्ध्वाहमनवम्॥

    ॥ इति श्रीमन्मौक्तिकरामोदासीनशिष्यब्रह्मानन्दविरचितं

    परमेश्वरस्तुतिसारस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥

    यह भी पढ़ें: Rama Ekadashi 2024 Upay: दीवाली से पहले रमा एकादशी पर घर ले आएं 5 चीजें, धन से भर जाएगी तिजोरी

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।