Apara Ekadashi के दिन भूलकर भी न करें ये काम, नाराज हो सकते हैं भगवान विष्णु
हर महीने में दो बार एकादशी व्रत किया जाता है। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। अपरा एकादशी के दिन व्रत से जुड़े नियम का पालन करना चाहिए। ऐसे माना जाता है कि वर्जित कामों को करने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार 23 मई (Apara Ekadashi 2025 Date) को अपरा एकादशी का व्रत किया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अपरा एकादशी का व्रत करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से अन्न और धन के भंडार भरे रहते हैं और जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं।
सनातन शास्त्रों के अनुसार, अपरा एकादशी के दिन कुछ कामों को नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि वर्जित कामों को करने से साधक को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं कि अपरा एकादशी के दिन दिन क्या करें और क्या न करें।
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अपरा एकादशी के दिन क्या करें (What to do on the day of Apara Ekadashi)
- अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
- स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
- भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें।
- तुलसी के पास दीपक जलाएं।
- आरती करने के बाद व्रत कथा का पाठ करें।
- विशेष चीजों का दान करें।
- अगले दिन व्रत का पारण करें।
अपरा एकादशी के दिन क्या न करें (What not to do on the day of Apara Ekadashi)
- अपरा एकादशी के दिन चावल और तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी न करें।
- किसी से कोई वाद-विवाद न करें।
- साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
- काले कपड़े न पहनें।
- किसी के बारे में गलत न सोचें।
- अपरा एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
अपरा एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Apara Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 23 मई को देर रात 01 बजकर 12 मिनट पर
कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 23 मई को रात 10 बजकर 29 मिनट पर
भगवान विष्णु के मंत्र (Shri Vishnu Mantra)
- ॐ अं वासुदेवाय नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
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