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    July Ekadashi 2025 Dates: जुलाई में कब-कब है एकादशी? जान लें सही डेट एवं महत्व

    Updated: Tue, 24 Jun 2025 04:28 PM (IST)

    जुलाई का महीना बेहद खास होता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इस साल जुलाई महीने में देवशयनी और योगिनी एकादशी (July Ekadashi 2025 Dates) मनाई जाएगी। इसके साथ ही सावन महीने की शुरुआत होगी। एकादशी तिथि पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुखों में वृद्धि होती है।

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    July Ekadashi 2025 Dates: देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर साधक भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    एकादशी व्रत करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है है। अतः साधक एकादशी के दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जुलाई महीने में कब-कब एकादशी है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025)

    आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके लिए देवशयनी एकादशी का व्रत साधक अवश्य ही रखते हैं। पंचांग गणना के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि गणना से 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी।


    कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2025)

    सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, 20 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। इस साल 21 जुलाई को कामिका एकादशी मनाई जाएगी।


    देवशयनी एकादशी महत्व

    देवशयनी एकादशी व्रत की महिमा शास्त्रों में दिया गया है। सनातन धर्म में निहित है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से जग के नाथ भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। इसके बाद अगले चार महीने तक सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहते हैं। अतः देवशयनी एकादशी के दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है।


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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।