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    Jaya Ekadashi 2025 Date: कब मनाई जाएगी जया एकादशी? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धार्मिक मत है कि एकादशी तिथि पर लक्ष्मी नारायण जी (Jaya Ekadashi 2025 Date) की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साधक एकादशी तिथि पर भक्ति के सभी माध्यमों से जगत के पालनहार को प्रसन्न करते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 07 Jan 2025 09:20 PM (IST)
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    Jaya Ekadashi 2025 Date: जया एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jaya Ekadashi 2025: हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष में जया एकादशी मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, शुभ मुहूर्त, योग एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    जया एकादशी शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी और 08 फरवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि की गणना के अनुसार, 08 फरवरी को जया एकादशी मनाई जाएगी। साधक अपनी सुविधानुसार समय पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते हैं।

    जया एकादशी शुभ योग (Jaya Ekadashi 2025 Shubh Yoga)

    जया एकादशी के दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही भद्रावास का भी संयोग है। इसके अलावा, रात में शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र का संयोग है। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

    जया एकादशी पूजा विधि (Jaya Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

    जया एकादशी के दिन सूर्योदय के समय या पहले उठें। इस समय भगवान विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ-सफाई करें। सभी कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर पीले रंग के कपड़े पहनें। अब सूर्य देव को जल अर्पित करें और पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा के समय भगवान विष्णु को पीले रंग के फल, फूल, मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। इस समय विष्णु चालीसा और विष्णु स्तोत्र का पाठ करें। पूजा का समापन आरती से करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार करें। रात्रि में भगवान विष्णु के निमित्ति भजन-कीर्तन करें। अगले दिन पूजा-पाठ के बाद व्रत खोलें। इस समय जरूरतमंदों के बीच अन्न का दान करें।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।