Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: कब मनाई जाएगी देवउठनी और उत्पन्ना एकादशी? यहां जानें शुभ मुहूर्त एवं योग
हर साल देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2025 Date) के अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है। कई बार तिथि संयोग से दोनों पर्व एक दिन मनाए जाते हैं। इस दिन से विवाह समेत सभी प्रकार के शुभ काम किए जाते हैं। जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से दुखों का नाश होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक महीने का खास महत्व है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस महीने में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। वहीं, कार्तिक माह में योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। आइए, देवउठनी एकादशी और उत्प्नना एकादशी की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
कब मनाई जाती है देवउठनी एकादशी?
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जाते हैं। इससे पहले चातुर्मास के दौरान शुभ काम नहीं किया जाता है। वहीं, देवउठनी एकादशी के दिन से विवाह समेत सभी प्रकार के मांगलिक काम किया जाता है।
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार 01 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी।
कब मनाई जाती है उत्पन्ना एकादशी?
हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। यह महीना बांके बिहारी कृष्ण कन्हैया लाल को समर्पित है। स्वयं गीता में भगवान कृष्ण ने उल्लेख किया है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। उत्पन्ना एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 15 नवंबर को देर रात 12 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 37 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए शुक्रवार 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाएगी।
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