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    Devshayani Ekadashi 2025: कब मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी? एक क्लिक में पता करें सही डेट और शुभ मुहूर्त

    सनातन शास्त्रों में निहित है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) तिथि से चातुर्मास की शुरुआत होती है। वहीं देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागृत होते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से मांगलिक कार्य किए जाते हैं। एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 05 May 2025 06:30 PM (IST)
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    Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व पूर्णतया भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर एकादशी का व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से साधक को अश्वमेघ यज्ञ समान फल मिलता है।

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    साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में सभी प्रकार की खुशियां प्राप्त होती हैं। वैष्णव समाज के लोग एकादशी पर्व उत्सव की तरह मनाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि देवशयनी एकादशी कब मनाई जाएगी? आइए, सही डेट से लेकर योग की पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं।

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    देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी।

    कब से शुरू होगा चातुर्मास (Chaturmas 2025 Date)

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। इसके बाद लगातार चार महीने तक विश्राम करते हैं। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु नींद से जागृत होते हैं। इस साल 06 जुलाई से लेकर 01 नवंबर तक चातुर्मास है।

    देवशयनी एकादशी पारण (Devshayani Ekadashi Parana Timing)

    साधक 06 जुलाई के दिन देवशयनी एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं, 07 जुलाई को पारण करेंगे। 07 जुलाई को पारण का समय सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट तक है। इस दिन स्नान-ध्यान के बाद लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद अन्न का दान कर व्रत खोलें।

    देवशयनी एकादशी शुभ योग (Devshayani Ekadashi Shubh Muhurat)

    ज्योतिषियों की मानें तो देवशयनी एकादशी के दिन कई मंगलाकारी शुभ योग बन रहे हैं। इनमें साध्य और शुभ योग का संयोग भी है। इसके अलावा, कई दुर्लभ संयोग भी देवशयनी एकादशी पर बनेंगे। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।