इस साल गणेश चतुर्थी 2025 26 अगस्त मंगलवार को मनाई जाएगी। इस खास मौके पर सभी महिलाएं सज-संवरकर बप्पा का स्वागत करती है। तो अगर आप भी इस बार गणेश चतुर्थी पर ट्रेडिशनल और रॉयल लुक पाना चाहती हैं, तो हम आपको पटोला साड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं। अमेजन पर इन पटोला साड़ियों को यूजर्स ने जबरदस्त रेटिंग दी है और ऐसा माना जाता है कि त्योहार पर पटोला साड़ी पहनना शुभ होता है। तो फिर देरी किस बात की है? आइए स्टाइल स्ट्रीट में आने वाले इन साड़ियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पटोला साड़ियों की क्या खासियत है?
पिछले कुछ समय में पटोला साड़ियों की डिमांड काफी बढ़ी है। एक तरह से कहा जाए तो पटोला साड़ियों का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं पटोला साड़ी कि ऐसी क्या खासियत है? जिस कारण इसे इतना पसंद किया जाता है?
संख्या |
विशेषता |
विवरण |
1. |
उत्पत्ति |
पटोला साड़ी की उत्पत्ति गुजरात से हुई है और इन साड़ियों का निर्माण हाथों से किया जाता है। |
2. |
तकनीक |
यह डबल इकत तकनीक से बनती है, जिसमें धागों को पहले ही डिज़ाइन के अनुसार रंगा जाता है। |
3. |
डिजाइन |
इसमें आपको ज्यामितीय पैटर्न, मंदिर डिजाइन, हाथी, तोते, फूल आदि के पेटर्न देखने को मिलते हैं। |
4. |
कलर |
इसमें प्राकृतिक रंगों या लंबे समय तक टिकने वाले चमकीले रंगों का उपयोग किया जाता है और यह रंग जल्दी नहीं उड़ते हैं। |
5. |
कपड़ा |
यह साड़ी शुद्ध रेशम या कॉटन-सिल्क मिश्रित फैब्रिक में मिलती हैं और यह पहनने में हल्की व आरामदायक होती हैं। |
6. |
सिल्क की क्वालिटी |
‘पटोला सिल्क’ बहुत ही प्रीमियम क्वालिटी की मानी जाती है और लंबे समय तक खराब नहीं होती है। |
7. |
हस्तनिर्मित कला |
हर साड़ी को बुनने में महीनों का समय लग सकता है, क्योंकि यह पूरी तरह हाथ से बनाई जाती है। |
8. |
संस्कृतिक महत्व |
यह गुजरात और भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। कई राज्यों में इस साड़ी को पहनना शुभ माना जाता है। |
9. |
कीमत |
असली पटोला साड़ियां महँगी होती हैं, लेकिन यह एक इनवेस्टमेंट पीस होती हैं यानी एक बार खरीद लिया तो सालों तक खराब नहीं होती है। |