उदयपुर राजपरिवार में वसीयत विवाद : बेटियों ने पिता की संपत्ति में मांगा हिस्सा, शराबी होने का लगाया आरोप
मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत को लेकर विवाद गहरा गया है। उनकी बेटियों पद्मजा और भार्गवी कुमारी ने मुंबई हाई कोर्ट में ...और पढ़ें

बेटियों ने कहा कि उनके पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ और शराब के आदी थे
जागरण संवाददाता, उदयपुर। मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ की संपत्ति और अंतिम वसीयत को लेकर नया कानूनी विवाद तेजी पकड़ गया है। उनकी छोटी बेटी पद्मजा और बड़ी बेटी भार्गवी कुमारी ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि उनके पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ और शराब के आदी थे।
बेटियों का कहना है कि इस कारण उन्होंने संपत्ति पर विवेकपूर्ण निर्णय नहीं लिया, इसलिए अंतिम वसीयत को चुनौती दी जा रही है। पद्मजा और भार्गवी कुमारी ने कोर्ट में पिता की संपत्तियों में हिस्सेदारी मांगी है। इसमें शिकारबाड़ी की भूमि, मुंबई स्थित मेवाड़ हाउस का छठा माला का आधा हिस्सा, मुंबई में दार्जिलिया हाउस समेत अन्य संपत्तियां शामिल हैं।
बेटे लक्ष्यराज सिंह को बनाया था उत्तराधिकारी
अरविंद सिंह का निधन 16 मार्च 2025 को हुआ था और 7 फरवरी को उन्होंने वसीयत बनाकर बेटे लक्ष्यराज सिंह को संपत्ति का एकमात्र उत्तराधिकारी बनाया था। इधर, अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने कहा कि उनकी बहनों ने पिता की गरिमा को ठेस पहुंचाई। उन्होंने एफिडेविट में कहा कि उनके पिता पूरी तरह मानसिक रूप से स्वस्थ थे और दोनों बेटियों ने पिता की स्वीकृति से शेयर और कंपनियों में अपने डायरेक्टर पदों को स्वीकार किया और बाद में ही इस्तीफा दिया।
लक्ष्यराज ने कहा कि पिता ने जीवनभर उन्हें काबिल बनाने का मार्गदर्शन किया और संपत्ति का सही निर्णय लिया। 12 जनवरी को सभी पक्षकार दिल्ली हाई कोर्ट में होना होगा पेश राजपरिवार में चल रहे इस विवाद में बेटियों और बेटे के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बीच कानूनी लड़ाई अब दिल्ली हाई कोर्ट में निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जोधपुर और मुंबई हाई कोर्ट में लंबित प्रकरणों को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर सभी पक्षकारों को 12 जनवरी 2026 को उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। लक्ष्यराज सि्ंह ने वसीयत के आधार पर जोधपुर हाई कोर्ट में प्रशासनिक पत्र जारी कराने की याचिका भी दायर की थी। इस विवाद ने मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार में विभाजन और संपत्ति के अधिकारों पर नई बहस शुरू कर दी है।

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