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    गुजरात-राजस्थान सीमा विवाद: सात दशक बाद भी अनसुलझा, दोनों राज्यों में भाजपा सरकारें फिर भी विवाद कायम

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 12:54 PM (IST)

    राजस्थान और गुजरात के बीच सीमा विवाद आजादी के सात दशक बाद भी अनसुलझा है। रियासत काल से चले आ रहे इन विवादों का असर सीमावर्ती आदिवासी इलाकों पर दिख रहा है। उदयपुर जिले से सटी गुजरात सीमा पर लगभग आधा दर्जन विवाद विचाराधीन हैं जिससे 200 से अधिक परिवार प्रभावित हैं। दोनों राज्यों के अधिकारी समय-समय पर बैठकें करते हैं पर अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।

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    आजादी के बाद भी नहीं सुलझ पाया राजस्तान-गुजरात सीमा विवाद।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आजादी के सात दशक बाद भी राजस्थान और गुजरात के बीच सीमा विवाद पूरी तरह सुलझ नहीं सका है। रियासत काल से चले आ रहे इन विवादों का असर अब भी सीमावर्ती आदिवासी इलाकों पर देखा जा रहा है।

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    उदयपुर जिले से सटी गुजरात सीमा पर आधा दर्जन विवाद अब भी विचाराधीन हैं, जिनसे करीब 200 से अधिक परिवार प्रभावित हैं।

    आदिवासी परिवारों पर असर

    सीमा क्षेत्र के निरक्षर आदिवासी परिवार वनों में रहते हैं और अपने आवासीय क्षेत्र को ही अपनी जमीन मानते हैं। जब वन विभाग सीमा तय करने दीवार खड़ी करने पहुंचता है, तो वे विरोध करने लगते हैं। जानकारी के अभाव में ये परिवार अपनी जमीन गुजरात सीमा तक बता देते हैं, जिससे दोनों राज्यों के बीच विवाद खड़ा हो जाता है।

    विवादों की संख्या घटी, पर समाधान नहीं

    कभी इस सीमा पर सौ से अधिक विवाद थे, जो अब घटकर आधा दर्जन रह गए हैं। समय-समय पर दोनों राज्यों के अधिकारी बैठकें करते हैं, परंतु समाधान नहीं निकल पाया। भाजपा की सरकारें दोनों राज्यों में होने के बावजूद विवाद जस का तस है।

    प्रमुख सीमा विवाद

    • गढ़बोर, कपासन क्षेत्र: नक्शे के मिलान और संयुक्त मापन की आवश्यकता।
    • कालीकांकर-आंजनी (गुजरात) बनाम झांझर (राजस्थान): नक्शे मिलान पूरे, अब संयुक्त मापन होगा।
    • गंथासरा (गुजरात) बनाम महाड़ी (राजस्थान): खसरा नंबरों की सीमाएं एक-दूसरे में घुसी हुई, समाधान की दिशा में सहमति।
    • खारीबेड़ी (गुजरात) बनाम झेर (राजस्थान): अतिक्रमण की संभावना, वन विभाग की जमीन विवादित।
    • डेडका (पोशीना, गुजरात) बनाम मंडवाल (कोटड़ा, राजस्थान): कई खसरा नंबरों पर विवाद, कानून-व्यवस्था की स्थिति बनती रही।
    • गांधीसरण नयावास (राजस्थान) बनाम सेमलिया (गुजरात): सर्वे पूरा हुआ।
    • सातसागड़ा, गतराली, चौकी व काटवी (राजस्थान) बनाम नेलवा, डगला, कंथारिया व केलवा (गुजरात): करीब 6.30 वर्ग किमी क्षेत्र विवादित। 1992 के सर्वे ऑफ इंडिया में राजस्थान का हिस्सा बताया गया, जबकि 1970 के सर्वे में गुजरात का।
    • गरणवास (झाड़ोल, राजस्थान) बनाम खोखरा (गुजरात): 157.26 हेक्टेयर भूमि विवादित, कुछ भूमि गुजरात के वन विभाग व कृषकों के कब्जे में। यहां गुजरात सरकार ने बस स्टैंड व पुलिया भी बना रखी है।

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