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    Rajasthan: नागौर से बीजेपी प्रत्याशी और उनकी बहन सहित तीन के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज, धोखाधड़ी का है आरोप

    Nagaur News राजस्थान के जोधपुर में बीजेपी प्रत्याशी ज्योति मिर्धा और उनकी बहन के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। बता दें कि हेम श्वेता कांग्रेस नेता और सांसद दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी हैं। मामला जोधपुर जिला न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-छह के आदेश पर दर्ज हुआ है। ये बता दें कि अदालत ने पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए थे।

    By Jagran NewsEdited By: Manish NegiUpdated: Tue, 28 Nov 2023 10:14 PM (IST)
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    बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ केस दर्ज (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में जोधपुर के उदय मंदिर पुलिस थाने में नागौर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा और उनकी बहन हेम श्वेता व उनके एक स्वजन प्रेम प्रकाश मिर्धा के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचित दस्तावेज तैयार करने सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

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    दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी हैं हेम श्वेता

    हेम श्वेता राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी हैं। मामला जोधपुर की आदर्श प्रगतिशील गृह निर्माण सहकारी समिति के एक भूखंड विवाद से जुड़ा हुआ है। यह मामला जोधपुर जिला न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-छह के आदेश पर दर्ज हुआ है।

    फरियादी अनिल चौधरी, ऊषा पूनिया व अन्य ने न्यायालय में इस्तागासा दायर किया था, जिस पर न्यायालय ने पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं। पुलिस में दर्ज करवाए गए मामले में आरोप लगाया गया है कि ज्योति व हेम श्वेता के पिता रामप्रकाश मिर्धा ने करीब दो दशक पहले फरियादियों को भूखंड बेचा था। पिता के निधन के बाद ज्योति,हेम श्वेता व प्रेम प्रकाश ने कूट रचित दस्तावेज अपने नाम से तैयार कर लिए थे। दस्तावेजों में उन्होंने भूखंड का वारिस खुद को बताया था। इस मामले में कई सालों से विवाद चल रहा है।

    पुलिस करेगी मामले की जांच

    विवाद के बीच तीनों फरियादी ने न्यायालय में इस्तगासे के माध्यम से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। अब पुलिस इस मामले की जांच करेगी। उल्लेखनीय है कि जमीन से जुड़े एक मामले में ज्योति और हेम श्वेता ने अपने चाचा भानुप्रकाश मिर्धा, ऊर्षा पूनिया और उनके दो बेटियों सहित 13 लोगों के खिलाफ अगस्त, 2021 में जोधपुर के चौपासनी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। फिर यह मामला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा था। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय न्यायालय तक पहुंचा और भानुप्राकाश, ऊषा पूनिया सहित अन्य के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया गया।

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