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    Udaipur: उपराष्ट्रपति धनखड ने किया सैनिक स्कूल का दौरा, कहा- मैं जो कुछ हूँ, सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ की बदौलत

    राज्य के चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मंगलवार को हेलीकॉप्टर से सैनिक स्कूल पहुंचे। स्कूल में पहुंचने पर राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने उनका स्वागत किया। उप राष्ट्रपति ने छात्रों और युवाओं को आह्वान करते हुए कहा आपको भारत को 2047 में विश्व के शिखर पर पहुंचाने का संकल्प लेना होगा।

    By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 22 Aug 2023 09:27 PM (IST)
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    धनखड ने कहा मैं जो कुछ हूँ, सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ की बदौलत ही हूँ।

    उदयपुर राज्य ब्यबरो। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड ने कहा मैं जो कुछ हूँ, सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ की बदौलत ही हूँ ... इस माटी को मैं सलाम करता हूं। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को अति-प्रतिस्पर्धा में न पड़ने की सलाह दी कहा अपनी रुचि का कॅरिअर चुनें। मंगलवार को चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल आए उप राष्ट्रपति ने छात्रों और युवाओं को आह्वान करते हुए कहा आपको भारत को 2047 में विश्व के शिखर पर पहुंचाने का संकल्प लेना होगा।

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    राज्य के चित्तौड़गढ़ स्थित सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मंगलवार को हेलीकॉप्टर से सैनिक स्कूल पहुंचे। स्कूल में पहुंचने पर राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास. जीओसी 61 सब एरिया एवं एलबीए चेयरमैन मेजर जनरल रायसिंह गोदारा, मेजर जनरल सतबीर सिंह, कार्यवाहक प्राचार्य लेफ्टिनेंट कर्नल पारूल श्रीवास्तव एवं प्रशासनिक अधिकारी मेजर दीपक मलिक ने उनका स्वागत किया। उपराष्ट्रपति ने स्कूल के एथलेटिक ग्राउंड में पौधारोपाण किया गया।

    स्कूल की स्मृतियां बताईं

    उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ का छात्र रहा हूं। युवाओं के चरित्र निर्माण में सैनिक स्कूलों की भूमिका की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये स्कूल भारत के श्रेष्ठ शिक्षा संस्थानों में से एक है। जहां युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अनुशासन और बेहतरीन शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराया जाता है।

    आज हम सभी अपने दो अत्यंत प्रतिष्ठित शिक्षकों श्री राठी और श्री द्विवेदी को यहां पाकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। मेरा विश्वास करो, वे बहुत सख्त थे। जब श्री द्विवेदी गलियारों में टहलते थे, तो अनुशासन चुंबकीय और संक्रामक होता था।

    श्री राठी ने दशकों से कोई समझौता नहीं किया है, इस उम्र में भी उन्हें पहनावे की बहुत अच्छी समझ है। वह आज किसी भी युवा लड़के के लिए एक आदर्श हो सकते हैं।