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    Rajasthan: अजमेर दरगाह में छह दिवसीय सालाना उर्स एक जनवरी से, मंदिर वाद के गर्म माहौल में जिला प्रशासन अलर्ट

    Updated: Wed, 04 Dec 2024 11:04 PM (IST)

    अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का सालाना उर्स दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे के अदालती वाद विवाद के बीच 25 दिन बाद यानी एक जनवरी से शुरू होने जा रहा है। छह दिवसीय उर्स का झंडा दरगाह के बुलंद दरवाजे पर 28 दिसंबर को चढ़ेगा। ख्वाजा साहब के उर्स में देश भर से लाखों जायरीन आते हैं। य

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    अजमेर दरगाह में छह दिवसीय सालाना उर्स एक जनवरी से (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, अजमेर। अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का सालाना उर्स दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे के अदालती वाद विवाद के बीच 25 दिन बाद यानी एक जनवरी से शुरू होने जा रहा है। छह दिवसीय उर्स का झंडा दरगाह के बुलंद दरवाजे पर 28 दिसंबर को चढ़ेगा। ख्वाजा साहब के उर्स में देश भर से लाखों जायरीन आते हैं। यहां तक कि सरकारी स्तर पर पाकिस्तान से भी जायरीन आता है। इस बार उर्स में जुमे की नमाज 3 जनवरी को होगी।

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    दरगाह में मंदिर होने के अदालती वाद विवाद और सालाना उर्स के मद्देनजर अजमेर का जिला प्रशासन सभी पक्षों पर नजर रखे हुए हैं। प्रशासन का प्रयास है कि उर्स के दौरान कोई विवाद न हो। जिला कलेक्टर लोकबंधु और पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा ने अपने अधिकारियों के साथ दरगाह क्षेत्र का दौरा भी किया है। इस बार शांतिपूर्ण उर्स प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।

    राष्ट्रीय स्तर का मुस्लिम नेता दरगाह शरीफ अजमेर पहुंच रहा

    दरगाह में शिव मंदिर होने के मुद्दे में राष्ट्रीय स्तर के मुस्लिम व हिन्दू नेता बयानवीर हो गए हैं। ऐसे नेताओं ने अपने बयान देने शुरू कर दिए हैं, हर नए दिन के साथ एक ना एक राष्ट्रीय स्तर का मुस्लिम नेता दरगाह शरीफ अजमेर पहुंच रहा है और बयानबाजी कर रहा है। बॉलीवुड स्टार तक भी इस होड़ में पीछे नहीं हैं।

    बुधवार को आईएमसी के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने अजमेर पहुंच कर बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि देश भर की अदालतों में इस तरह के वाद प्रस्तुत किए जा रहे हैं और स्वीकार किए जा रहे हैं उन्हें पहली फुर्सत में ही खारिज कर दिया जाना चाहिए और ऐसे तमाम लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीब नवाज अब इस मामले को खुद ही देखेंगे। पूरे देश में जो माहौल बिगड़ रहा है वह खुद ब खुद ठीक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि अजमेर वाले बैठे है तो किसी को चिंता नहीं है।

    केंद्र सरकार के तीन विभागों को नोटिस जारी किए

    उधर, सनातन धर्म रक्षा संघ अजयमेरु हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के समर्थन में सामने आ गया है। गुप्ता के वाद पर 27 नवंबर को अजमेर के सिविल जज मनमोहन सिंह चंदेल ने केंद्र सरकार के तीन विभागों को नोटिस जारी किए थे। इसके बाद से ही मुस्लिम पक्ष हमलावर रहा। दरगाह के खादिमों की ओर से यहां तक कहा गया कि विष्णु गुप्ता अपाधिक प्रवृत्ति का है, इसलिए पुलिस को उसके खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए।

    राष्ट्रीय न्यूज चैनलों पर भी मुस्लिम नेताओं ने विष्णु गुप्ता के दावे की आलोचना की। एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी कोर्ट द्वारा जारी नोटिस को गलत माना। पिछले एक सप्ताह से एकतरफा बयान बाजी हो रही थी। लेकिन 3 दिसंबर को सनातन धर्म रक्षा संघ अजयमेरू के बैनर तले एक बैठक वैशाली नगर स्थित तपस्वी भवन में हुई।

    भारत में लोकतंत्र है इसलिए हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार

    बैठक में संघ के अध्यक्ष और सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय शर्मा और संयोजक तरुण वर्मा ने मुस्लिम पक्ष की बयानबाजी को गैर जरूरी बताया। कहा गया कि इस प्रकरण में अब हमारा संघ भी पक्षकार बनेगा। भारत में लोकतंत्र है इसलिए हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। अभी तो अदालत ने सिर्फ नोटिस जारी किए हैं, लेकिन इन नोटिसों पर बेवजह का हंगामा खड़ा किया जा रहा है।

    उच्च स्तरीय मंथन

    हिंदू सेना के वाद पर अजमेर की सिविल अदालत ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, उस के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व विभाग को नोटिस जारी किए है। चूंकि इस मामले में 20 दिसंबर को सुनवाई होनी है, इसलिए केंद्र सरकार में नोटिस का जवाब देने के लिए उच्च स्तरीय मंथन शुरू हो गया है।

    जानकार सूत्रों के अनुसार अधिकारियों ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री किरण रिजिजू से विमर्श भी किया है। हो सकता है कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाले तीनों विभागों की ओर से 20 दिसंबर को कोई जवाब प्रस्तुत न किया जाए।

    इन दिनों दरगाह कमेटी के कार्यवाहक नाजिम हैं

    अल्पसंख्यक मंत्रालय के संयुक्त सचिव नदीम अहमद ही इन दिनों दरगाह कमेटी के कार्यवाहक नाजिम है। मंत्रालय की ओर से स्थायी नाजिम की नियुक्ति नहीं हो रखी है। पिछले दो वर्षों से दरगाह कमेटी का गठन भी नहीं हुआ है। ऐसे में दरगाह की आंतरिक प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के पास ही है।