Rajasthan: उदयपुर में 2 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म, पॉक्सो अदालत ने 2 आरोपियों को सुनाई 20-20 साल की सजा
राजस्थान के उदयपुर में 2 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म हुआ है। पॉक्सो अदालत ने इस मामले में 2 आरोपियों को 20-20 साल की सजा सुनाई है। मिली जानकारी के अनुसार एक घटनाक्रम पिछले साल उदयपुर जिले के सराड़ा थाना क्षेत्र का है।

राज्य ब्यूरो, उदयपुर। दो नाबालिगों से दुष्कर्म के मामले में उदयपुर की पोक्सो मामलों से जुड़ी अदालत ने दो आरोपियों को दोषी मानते हुए 20-20 साल की कठोर कारावास के अलावा जुर्माने की सजा सुनाई।
मिली जानकारी के अनुसार एक घटनाक्रम पिछले साल उदयपुर जिले के सराड़ा थाना क्षेत्र का है। जिसमें पीड़िता 15 अगस्त को मंदिर से लौट रही थी। इसी दौरान बाइक से आया खेरकी फला निवासी कांतिलाल पुत्र कालूराम ने नाबालिग को उठाया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
सजा के साथ लगा एक लाख रुपये का जुर्माना
पीड़िता की चीख-पुकार सुनकर दो महिलाएं दौड़कर आई तो आरोपी भाग निकला। इस मामले में पीड़िता ने अपनी सहमति जता दी लेकिन न्यायाधीश अश्विनी कुमार यादव ने अपने फैसले में लिखा कि विधि में प्रावधान है कि 18 साल से कम उम्र की बालिका के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए जाने में उसकी सहमति मायने नहीं रखती।
इसको ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने आरोपी कांतिलाल को दोषी ठहराते हुए लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 4-2 में बीस साल के कठोर कारावास के साथ एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
जबरदस्ती बाइक पर बिठाया और घर पर बनाया बंधक
दुष्कर्म का दूसरा मामला उदयपुर जिले के पहाड़ा थाना क्षेत्र का है। पीड़िता के पिता ने 24 जून 21 को मामला दर्ज कराया था। जिसमें बताया कि उनकी नाबालिग बेटी को असोड़ावाड़ा निवासी बादल पुत्र अशोक कुमार ने 21 जून की रात 11 बजे सिम कार्ड देने के बहाने घर के बाहर बुलाया था। वह घर से बाहर निकली थी कि बादल और उसका मित्र अरविन्द पुत्र कचरा उर्फ शंकरलाल एवं गोविन्द पुत्र बगता डामोर ने उसे जबरदस्ती बाइक पर बिठाया और छाणी गांव में गोविन्द के घर बंधक बनाकर रखा। जहां उसके साथ बादल ने दो दिन तक कई बार दुष्कर्म किया।
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20 साल की कठोर सजा
पुलिस ने तीनों को आरोपी बनाया था और मामले में बहस के बाद आरोपी बादल को आईपीसी की धारा 363 के तहत एक साल की कैद और दो हजार रुपए का जुर्माना, धारा 366 के तहत दो साल की कैद और 2 हजार रुपए जुर्माना और लेंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5-6 के तहत 20 साल का कठोर कारावास के साथ एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि आरोपी अरविन्द तथा गोविन्द को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
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