Rajasthan Politics: कांग्रेस और भाजपा के सामने राजस्थान में नेतृत्व का संकट, नहीं दिख रहा मुश्किलों का हल
Rajasthan Politics कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी परिस्थितियों का अध्ययन कर रही है और उसी के अनुसार फैसला करेगी। कांग्रेस के ऊपरी स्तर पर चल रही खींचतान और असमंजस का असर निचले स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है।

जयपुर, एजेंसी। राजस्थान में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, रेगिस्तानी राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भाजपा दोनों के लिए नेतृत्व को लेकर भ्रम बढ़ता दिख रहा है। जहां पूर्व सीएम वसुंधरा राजे बीजेपी की बहुचर्चित 'जनक्रोश यात्रा' से दूरी बना रखी हैं। वहीं कांग्रेस भी 25 सितंबर (2022) की घटना के बाद पैदा हुई भ्रामक स्थिति से अबतक जूझ रही है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायकों ने एक समानांतर बैठक बुलाई थी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने एक आधिकारिक बैठक बुलाई थी।
दोनों दलों के आलाकमान से स्पष्टता नहीं होने के कारण दोनों संगठनों के आंतरिक स्तर पर भ्रम और खींचतान है। और इसका असर चुनावी साल में कांग्रेस और बीजेपी के कार्यक्रमों और तैयारियों में देखा जा सकता है।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान अब खुले तौर पर देखा जा सकता है, जो पायलट खेमे द्वारा जुलाई 2020 से बगावत के बाद से लगातार चल रहा है।
वहीं, 25 सितंबर को इस्तीफे की राजनीति के बाद जब कांग्रेस के 91 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना त्याग पत्र सौंपा, तो दरारें तब से और बढ़ती होती दिख रही हैं। इस बीच, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव समाप्त हो गए हैं और भारत जोड़ो यात्रा भी राजस्थान से होकर गुजरी है। लेकिन पार्टी आलाकमान ने नेतृत्व के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया। यहां तक कि आज तक कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से गहलोत-पायलट मामले के समाधान को लेकर कोई स्पष्टता नहीं दी गई है।
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