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    Rajasthan: जयपुर का वो दरगाह जहां दिखती है विभिन्न धर्मों की एकजुटता, 200 साल है पुराना; इतिहास काफी दिलचस्प

    By Agency Edited By: Nidhi Avinash
    Updated: Wed, 28 Feb 2024 06:10 PM (IST)

    राजस्थान के जयपुर में एक ऐसा दरगाह (Hindu - Muslim unity) मौजूद है जहां हिंदू और मुसलमानों की एकजुटता और प्रेम देखने को मिलता है। इस दरगाह का नाम दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन शाहे विलायत है। इस दरगाह की स्थापना करीब 200 साल पहले हुई थी। हालांकि इस दरगाह के परिसर में एक मस्जिद भी बनी हई है लेकिन यहां आने वाले हिंदुओं को कोई परेशानी नहीं होती है।

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    जयपुर का वो दरगाह जहां दिखती है विभिन्न धर्मों की एकजुटता (Image: ANI)

    एएनआई, जयपुर। राजस्थान के जयपुर में एक ऐसा दरगाह मौजूद है, जहां हिंदू और मुसलमानों की एकजुटता और प्रेम देखने को मिलता है। इस दरगाह में विभिन्न स्थानों से विभिन्न धर्मों के लोग विशेष रूप से गुरुवार को इस दरगाह के दर्शन करने पहुंचते है। इस दरगाह का नाम दरगाह हजरत मौलाना जियाउद्दीन शाहे विलायत है।

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    200 साल पुराना है दरगाह

    इस दरगाह की स्थापना करीब 200 साल पहले हुई थी। हालांकि, इस दरगाह के परिसर में एक मस्जिद भी बनी हई है, लेकिन यहां आने वाले हिंदुओं को कोई परेशानी नहीं होती है। यहां के शासक सैयद जियाउद्दीन ने कहा कि यहां सभी लोग आते हैं। सूफीवाद के सिद्धांतों के मुताबिक, हिंदू भाइयों को भी अपने साथ रखते हैं और सभी मिलकर शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।

    क्या है इसके पीछे का इतिहास?

    ऐसा माना जाता है कि जब हजरत मौलाना जियाउद्दीन साहब जयपुर आए तो उन्होंने एक तंबू में रहना शुरू कर दिया। इसकी सूचना महाराज तक पहुंच गई। जो भी व्यक्ति बाहर से आता था उसे रहने के लिए परमिट लेना पड़ता था। महाराज ने अपने सिपाही मौलाना जियाउद्दीन साहब के पास भेजे। सिपाहियों ने दूर से ही पाली हुई बिल्लियों को शेर समझ लिया और सिपाहियों ने जाकर यह बात महाराजा को बता दी। इसके बाद महाराज खुद सूफी संत से मिलने वहां पहुंचे। सूफी संत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें देर हो रही है, उन्हें अपने प्रिय गोविंद देव जी की पूजा और दर्शन भी करना है।

    तो इसलिए इस दरगाह पर आते है सभी धर्मों के लोग

    यह सुनकर सूफी संत ने कहा कि वह दर्शन अवश्य करायेंगे। सूफी संत ने उसे अपनी आंखें बंद करने के लिए कहा। एक मिनट के लिए अपनी आंखें बंद करने के बाद, सूफी संत ने फिर महाराज से पूछा कि क्या वह अपनी आंखें खोल सकते हैं। जब महाराज ने आंखें खोलीं तो सामने अपने आराध्य गोविंद देव जी की मूर्ति देखी। सूफी संत का यह चमत्कार देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें वहीं रहने की इजाजत दे दी। आज इस दरगाह पर सभी धर्मों के लोग आते हैं और प्रार्थना करते हैं।

    सूफी शिक्षक ने कहा- मानसिक स्वच्छता जरूरी

    सूफी शिक्षक गद्दी नशीन सैयद जियाउद्दीन जिया ने कहा 'सूफीवाद हमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वच्छता सिखाता है। सूफीवाद के इच्छुक लोग आध्यात्मिकता के माध्यम से अपने दिल और दिमाग को साफ करना सीखते हैं। ऐसे लोगों को अहंकार की कोई समस्या नहीं होती और वे मानवता की सेवा करते हैं।'

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